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ममता व राज्यपाल के बीच एक घंटे तक बैठक

-मुलाकात के बाद राजभवन व सरकार के बीच संबंधों पर जमी बर्फ पिघलने के संकेत - तनातनी माहा

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Feb 2020 07:48 PM (IST)Updated: Tue, 18 Feb 2020 06:17 AM (IST)
ममता व राज्यपाल के बीच एक घंटे तक बैठक
ममता व राज्यपाल के बीच एक घंटे तक बैठक

-मुलाकात के बाद राजभवन व सरकार के बीच संबंधों पर जमी बर्फ पिघलने के संकेत

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- तनातनी माहौल के बीच राजभवन जाकर राज्यपाल से मिलीं ममता

- राज्यपाल ने ट्वीट कर ममता के साथ बैठक को बताया अत्यंत संतोषजनक

- राज्यपाल के लिए फूल व मिठाई लेकर भी राजभवन गई थी ममता

- दोनों के बीच शिक्षा, स्वास्थ्य समेत विकास के कई मुद्दों पर हुई चर्चा राज्य ब्यूरो, कोलकाता : हाल के दिनों में राजभवन व बंगाल सरकार के बीच बेहद तल्ख भरे रिश्तों के बीच मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने सोमवार को राज्यपाल जगदीप धनखड़ से राजभवन में मुलाकात की। इस मुलाकात को दोनों के संबंधों में जमीं बर्फ के पिघलने का संकेत माना जा रहा है। राजभवन में मुख्यमंत्री व राज्यपाल के बीच करीब एक घंटे तक बैठक चली।

हालांकि इस बैठक में दोनों के बीच क्या बातें हुई इस पर से फिलहाल पर्दा नहीं उठ पाया है। लेकिन, सूत्रों का कहना है कि दोनों के बीच बैठक में शिक्षा, स्वास्थ्य समेत राज्य के विकास से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई। यह भी कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री ने बजट अभिभाषण के लिए भी राज्यपाल को धन्यवाद दिया। जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री सोमवार दोपहर 11.30 बजे तय समय पर राजभवन पहुंच गई। दोनों के बीच 12.30 बजे तक बैठक हुई। इस दौरान राज्यपाल की पत्‍‌नी व राज्य की प्रथम महिला सुदेश धनखड़ भी मौजूद रहीं। मुख्यमंत्री राज्यपाल के लिए फूल व मिठाई भी ले गई थी। अधिकारियों ने बताया कि पिछले साल जुलाई में धनखड़ के पद संभालने के बाद यह पहली बार है जब मुख्यमंत्री के साथ उनकी आमने-सामने बैठक हुई है। बैठक के बाद राज्यपाल ने ट्वीट कर खुशी जताते हुए इसे बेहद सार्थक बताया है। उन्होंने ट्वीट किया, माननीय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से एक घंटे तक अत्यंत संतोषजनक बात हुई। हालांकि मुख्यमंत्री की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

धनखड़ पिछले साल दिसंबर से ही ममता के साथ बैठक की बात कह रहे थे, लेकिन यह संभव नहीं हो पा रहा था क्योंकि राज्य सरकार हमेशा मुख्यमंत्री की व्यस्तताओं का हवाला देती रहीं। इस बीच धनखड़ भी लगातार कई अवसरों पर राज्य सरकार पर अपनी नाराजगी जाहिर करते रहे। उन्होंने सरकार पर राज्यपाल के पद का सम्मान नहीं करने और राज्य की कानून-व्यवस्था से लेकर शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए। इसको लेकर दोनों ओर से आरोप-प्रत्यारोप जारी रहा। वहीं, जादवपुर विश्वविद्यालय और कलकत्ता विश्वविद्यालय के दीक्षा समारोह में उनके निमंत्रण को लेकर उपजे विवाद पर भी उन्होंने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। विरोध के चलते उन्हें दीक्षा समारोह से वापस लौटना पड़ा था। तब उन्होंने कहा था कि राज्य सरकार ने विश्वविद्यालयों को बंधक बनाकर रखा है। उन्होंने राजभवन में सभी कुलपतियों की बैठक भी बुलाई थी लेकिन कोई नहीं पहुंचे। वहीं, राज्यपाल के कुलाधिपति होने के बावजूद कई विश्वविद्यालयों ने राजय सरकार की खुलेआम आलोचना करने के चलते उन्हें दीक्षा समारोह में भी आमंत्रित नहीं किया था। इतना ही नहीं राज्य सरकार ने विश्वविद्यालय के कानून में संशोधन करते हुए कुलाधिपति के रूप में राज्यपाल की शक्तियों में कटौती तक कर दी थी और यह सुनिश्चित किया गया कि कुलाधिपति तथा विवि के कुलपतियों के बीच सभी संवाद शिक्षा विभाग के माध्यम से होगा।

बहरहाल, तनातनी के इस माहौल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का राजभवन में राज्यपाल के साथ बैठक को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इससे राजभवन व राज्य सरकार के बीच रिश्ते बेहतर होने की संभावना तेज हो गई है और मेल-मिलाप का संकेत माना जा रहा है।

बता दें कि राज्यपाल व ममता सरकार के बीच संबंधों में तभी से तनातनी चल रही है जब धनखड़ जादवपुर विश्वविद्यालय में धक्कामुक्की के शिकार हुए भाजपा सांसद व मंत्री बाबुल सुप्रियो को बचाने पहुंच गए थे। बाबुल एबीवीपी के कार्यक्रम को संबोधित करने विश्वविद्यालय पहुंचे थे तभी अन्य दलों के समर्थित छात्रों ने उन्हें घेरकर बंधक बना लिया था। बाद में राज्यपाल ने उन्हें छुड़ाया था।


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