Mamata Banerjee Birthday: 67 साल की हुईं ममता, जन्मदिन पर केजरीवाल और गडकरी समेत अन्य नेताओं ने दी बधाई
महज 15 साल की उम्र में राजनीति में उतरने के बाद 1984 के आम चुनाव में सबसे कम उम्र की सांसद बनने और सत्ता में काबिज ममता बनर्जी का जन्म पांच जनवरी 1955 को कोलकाता के एक निम्न मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल की मुख्यमंत्री और ‘दीदी’ के नाम से जाने जाने वाली ममता बनर्जी का आज (पांच जनवरी को) 67वां जन्मदिन है। जन्मदिन के मौके पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समेत अन्य नेताओं ने ट्वीट कर उन्हें बधाई दी है। बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने भी मुख्यमंत्री को बधाई दी है। इसके अलावा तृणमूल कांग्रेस के नेता व मंत्री भी सुबह से ही दीदी को जन्मदिन की बधाई दे रहे हैं।
केजरीवाल ने ट्वीट कर बधाई देते हुए दीदी की लंबी उम्र, सफलता और अच्छे स्वास्थय की कामना की। वहीं गडकरी ने लिखा कि भगवान से कामना है कि आप स्वास्थय रहें और इश्वर आपको लंबी उम्र दें। बताते चलें कि महज 15 साल की उम्र में राजनीति में उतरने के बाद 1984 के आम चुनाव में सबसे कम उम्र की सांसद बनने और फिर वामपंथी दलों का गढ़ माने जाने वाले बंगाल से उन्हीं को बाहर का रास्ता दिखा कर सत्ता में काबिज होने तक ममता बनर्जी का सफर बड़ा दिलचस्प रहा है। ममता का जन्म पांच जनवरी 1955 को कोलकाता के एक निम्न मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। इनके पिता एक स्वतंत्रता सेनानी थे। बीमारी के चलते जब उनकी मौत हुई तब ममता की उम्र केवल 17 साल थी। जिसके बाद परिवार की जिम्मेदारी उनके ही कंधों पर थी। कहा जाता है कि ममता ने दूध बेचकर अपने भाई-बहन का पालन पोषण किया और खुद भी अपनी पढ़ाई पूरी की। ममता बनर्जी ने कलकत्ता यूनिवर्सिटी से ला में स्नातक और आर्ट्स में मास्टर किया।
70 के दशक में हुई राजनीति में सक्रिय
ममता सिर्फ 15 साल की कम उम्र में ही राजनीति में उतर आईं थीं। उन्होंने 15 साल की उम्र में जोगमाया देवी कालेज में छात्र परिषद यूनियन की स्थापना की जो कांग्रेस (आई) की स्टूडेंट विंग थी और वाम दलों के स्टूडेंट विंग को चुनाव में हराया भी था। ममता बनर्जी 70 के दशक में कालेज में कांग्रेस पार्टी के जरिए राजनीति में सक्रिय हुई और बहुत जल्द पार्टी में उनका कद भी बढ़ गया।उन्हें महिला कांग्रेस का महासचिव बना दिया गया।
दिग्गज नेता सोमनाथ चटर्जी को हराकर बनीं थी सबसे कम उम्र की सांसद
इसके बाद 1984 में कुछ ऐसा हुआ जो किसी ने सोचा भी न हो। उस वक्त माकपा के सोमनाथ चटर्जी राजनीति के ऐसे दिग्गज थे जिन्हें हराना किसी भी नए राजनेता के लिए नाममुमकिन ही माना जाता था। लेकिन 1984 में ममता आम चुनाव में उतरी और जादवपुर लोकसभा सीट से उन्होंने सोमनाथ चटर्जी को हराया दिया। चुनाव जीतने के साथ ही ममता 1984 के आम चुनाव में भारत की सबसे कम उम्र की सांसद बनी। इसके बाद 1991 में नरसिम्हा राव सरकार में बनर्जी मानव संसाधन विकास, युवा मामले, खेल व महिला और बाल विकास राज्यमंत्री पद पर रही। 1996, 1999, 2004 और 2009 में ममता बनर्जी कोलकाता सीट से लोकसभा चुनाव जीती।
2011 में पश्चिम बंगाल की राजनीति का रुख मोड़ा
साल 1993 में ममता बनर्जी ने खेल मंत्रालय से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद 1997 में उन्होंने अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस पार्टी बना ली और कांग्रेस से अलग हो गई। 1999 में वह एनडीए का हिस्सा बन गई और रेलमंत्री बनी। हालांकि 2011 में ममता एनडीए से भी अलग हो गई थी। तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष बनकर साल 2011 में वाम दलों की दशकों पुरानी सत्ता को उखाड़कर पश्चिम बंगाल में नए सूरज का उदय किया और राज्य में अपनी सरकार बनाई, मुख्यमंत्री बनी। यहीं से ममता बनर्जी के जीत का जो दौर शुरू हुआ तो उन्होंने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।