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मवेशी तस्करी मामले में मुख्य आरोपित इनामुल हक को जमानत, उच्चतम न्यायालय ने सीबीआइ पर ही उठाए सवाल

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की बेंच ने मोहम्मद इनामुल हक की जमानत याचिका मंजूर कर ली। मामले में एक बीएसएफ कमांडेंट को भी गिरफ्तार किया गया था। मामले में और कितनी बड़ी साजिश हो सकती है इसकी जांच अभी चल रही है!

By Vijay KumarEdited By: Published: Tue, 25 Jan 2022 08:58 PM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 08:58 PM (IST)
मवेशी तस्करी मामले में मुख्य आरोपित इनामुल हक को जमानत, उच्चतम न्यायालय ने सीबीआइ पर ही उठाए सवाल
इनामुल ने स्थानीय पुलिस से सांठगांठ की थी जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से बड़ा खतरा है।

 राज्य ब्यूरो, कोलकाता : मवेशी तस्करी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य आरोपित को जमानत दे दी है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की बेंच ने मोहम्मद इनामुल हक की जमानत याचिका मंजूर कर ली।

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इनामुल मवेशियों की सीमा पार बांग्लादेश में तस्करी करने का मुख्य आरोपित है। मामले में एक बीएसएफ कमांडेंट को भी गिरफ्तार किया गया था। आरोप है कि तस्करी में घूस की रकम राजनीतिक दलों और स्थानीय अधिकारियों को दी जाती थी। वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने इनामुल की तरफ से दलील दी कि सीबीआइ ने कथित मवेशी तस्करी मामले में पिछले वर्ष छह फरवरी और 21 फरवरी को चार्जशीट फाइल की थी। उन्होंने कहा कि बीएसएफ कमांडेंट समेत मामले के अन्य आरोपित को जमानत मिल चुकी है, लेकिन कोलकाता हाई कोर्ट ने इनामुल को जमानत देने से इन्कार कर दिया है, बावजूद इसके कि वह एक साल से जेल में बंद है जबकि इस मामले में अधिकतम सात साल की सजा हो सकती है।

वहीं, सीबीआइ की तरफ से अडिशनल सालिसिटर जनरल अमन लेखी ने दलील दी कि याचिकाकर्ता इनामुल हक तस्करी गिरोह का सरगना है जिसमें बीएसएफ कमांडेंट, कस्टम्स आफिसर, स्थानीय पुलिस और अन्य लोग मवेशियों की सीमा पार तस्करी करवाने में संलिप्त हैं। उन्होंने कोलकाता हाई कोर्ट के फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि कोच्चि में एक मामले में इनामुल हक की पूर्व संलिप्तता से संकेत मिलता है कि उसे भारत-बांग्लादेश सीमा के पार मवेशियों की तस्करी के इसी तरह के अपराध करने की आदत है। उन्होंने कहा कि इनामुल लुक आउट नोटिस का भी उल्लंघन करते हुए बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल पहुंचा। इससे पता चलता है कि उसने स्थानीय पुलिस से सांठगांठ की थी जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से बड़ा खतरा है।

जजों का सीबीआइ से सवाल

जब उन्होंने कहा कि मामले में और कितनी बड़ी साजिश हो सकती है, इसकी जांच अभी चल रही है, तब जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस माहेश्वरी ने पूछा, 'एक व्यक्ति को असीमित वक्त तक हिरासत में रखने से बड़ी साजिश की जांच में बाधा पड़ सकती है जबकि मामले के अन्य आरोपितों को जमानत मिल चुकी है? क्या एक साल दो महीने जांच के लिए काफी नहीं थे जिस वक्त से वह जेल में है?' बेंच ने यह कहते हुए इनामुल को जमानत दे दी कि उसकी हिरासत जारी रखने का कोई मतलब नहीं बनता है।


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