वाममोर्चा का घटक दल फारवर्ड ब्लाक बदलेगा अपने झंडे का रंग, दिसंबर में पार्टी की बैठक में लिया जाएगा अंतिम निर्णय
बंगाल में 34 वर्षों तक शासन करने वाला वामपंथी विधानसभा से लेकर लोकसभा तक में शून्य हो चुके हैं। सूबे में अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। जिस तरह से देश में राष्ट्रवाद की राजनीति हो रही है उसमें वामपंथियों का साम्यवाद काफी पीछे छूट चुका है।
राज्य ब्यूरो, कोलकताः बंगाल में 34 वर्षों तक शासन करने वाला वामपंथी विधानसभा से लेकर लोकसभा तक में शून्य हो चुके हैं। सूबे में अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। जिस तरह से देश में राष्ट्रवाद की राजनीति हो रही है उसमें वामपंथियों का साम्यवाद काफी पीछे छूट चुका है। यही वजह है कि अब माकपा जैसी वामपंथी पार्टी को राष्ट्रवाद की राह पर चलने को मजबूर होना पड़ा है। यही वजह है कि आजादी के 75वें वर्ष में पहली बार माकपा नेताओं ने अपने पार्टी दफ्तरों में राष्ट्रीय ध्वज(तिरंगा) फहराया।
राष्ट्रवाद पर संगोष्ठी आयोजित की। एक वर्ष तक स्वतंत्रता दिवस पर विविध कार्यक्रम आयोजित करने की घोषणा की है। अब दूसरी ओर वाममोर्चा के घटक दल फारवर्ड ब्लाक ने अपने झंडे के रंग लाल से बदल कर तीन रंगों का करने का विचार कर रहा है। वर्तमान में फारवर्ड ब्लाक के झंडे का रंग पूरी तर से लाल है जिस पर बाघ की तस्वीर होती है। अब उसे बदलकर केसरिया, सफेद और हरा करने की तैयारी हो रही है,जो तिरंगा से मेल खाता है। बता दें कि फारवर्ड ब्लाक की स्थापना नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने की थी और उस समय नेताजी ने अपनी पार्टी के झंडे का रंग तिरंगा की तरह ही रखा था।
फारवर्ड ब्लाक के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि झंडे के रंग से वामपंथी लाल रंग हटाने पर विचार किया जा रहा है। इसके साथ नेताजी द्वारा फहराए गए तिरंगा रंग वाला झंडा को फिर से वापस लाने की योजना है। नए झंडे में तिरंगा के केसरिया, सफेद और हरे रंग होगा और मध्य के सफेद रंग पर बाघ की तस्वीर भी होगी।
पार्टी नेताओं का कहना है कि अखिल भारतीय फारवर्ड ब्लाक के झंडे के रंग बदलने के साथ-साथ हंसुआ-हथौड़ा भी हटा दिया जाएगा। तीन रंगों वाला झंडा होगा,जिसे नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने नागपुर में फहराया था। इस संबंध में अंतिम फैसला इसी साल लिया जाएगा। ज्ञात हो कि जून 1940 में फारवर्ड ब्लाक का पहला अखिल भारतीय सम्मेलन आयोजित हुआ था। यह नागपुर में आयोजित हुआ था। नेताजी ने वहां पार्टी का झंडा फहराया था, उसका रंग केसरिया, सफेद, हरा था और सफेद रंग पर बाघ की एक तस्वीर थी।
दिसंबर में पार्टी की बैठक में लिया जाएगा अंतिम निर्णय
फारवर्ड ब्लाक की वार्षिक बैठक इसी साल दिसंबर में होने जा रही है। यह बैठक भुवनेश्वर में होनी है और वहीं झंडा बदलने पर अंतिम फैसला लिया जाएगा। बता दें कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्षव पद से इस्तीफा दे दिया था और एक अलग राजनीतिक दल का गठन किया था। आल इंडिया फारवर्ड ब्लाक ने तीन मई 1939 को अपनी यात्रा शुरू की थी। नेताजी सुभाष चंद्र बोस इसके पहले अध्यक्ष बने थे और एसएस चावेश्वर उपाध्यक्ष बने थे। पार्टी ने कलकत्ता में एक जुलूस के माध्यम से अपनी शुरुआत की थी। उस जुलूस के एक हफ्ते बाद, बाम्बे (अब मुंबई) में एक रैली की थी।