पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक उत्पन्न हो रहा है ठोस कचरा
देश में कचरा उत्पन्न करने के मामले में पहले स्थान पर पश्चिम बंगाल, गंगा सफाई में बन रही है चुनौती।
जेएनएन, कोलकाता । गंगा नदी के निकट वाले 97 शहरों और कस्बों में उत्पन्न ठोस कचरे का एक-तिहाई से भी कम निस्तारित हो पाता है। जिस कारण नदी को साफ करना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। अब आवास और शहरी मामलों के मंत्रलय ने सूखे और गीले कचरे को अलग करने का फैसला लिया है।
मंत्रालय ने हाल ही में शहरों में उत्पन्न होने वाले ठोस कचरे से संबंधित जानकारियां दी हैं। यह जानकारी जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गडकरी के सामने प्रजेंटेशन के माध्यम से दी गई थी। मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार नदी समेत शहरों और कस्बों से 11,625 टन ठोस कचरा उत्पन्न होता है। इसमें पश्चिम बंगाल प्रथम स्थान पर है। यहां सबसे ज्यादा कचरा उत्पन्न होता है।
इस राज्य से 6,132 टन कचरा प्रतिदिन उत्पन्न होता है। यह आंकड़ा नगर निगम के कुल कचरे के आंकड़े के आधे से अधिक है। इस मामले में उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर आता है। यहां रोज 3,275 टन कचरा उत्पन्न होता है।
वहीं बिहार में कुल ठोस कचरे का 15 फीसद उत्पन्न होता है। राज्य सरकारों ने अभी तक 4,884 टन कचरे को निस्तारित करने संबंधित विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार नहीं की है।
वहीं मौजूदा संयंत्र प्रतिदिन नगरपालिका के 653 टन कचरे का ही निपटारा कर पाता है। अब मंत्रालय ने गीले कचरे को अलग करने का प्रस्ताव रखा है जो नगर पालिका के कुल कचरे का 40-60 फीसद है।