कोलकाता के श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट ने अपने नाम दर्ज की एक और उपलब्धि
एमवी लेक डी नेपाल के लिए 66000 मैट्रिक टन स्टीम कोल कार्गो वाहित अपनी तरह का सबसे बड़ा केप वेसल है जो 2011 में निर्मित हुआ था। इसने मास्टर मार्टिरेज़ अरलान नरिस्मा सहित 20 फिलिपिनो चालक दल के साथ पहली बार सागर में लंगर डाला है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट, कोलकाता ने एक और उपलब्धि अपने नाम दर्ज कर ली, जब पहला पनामा फ्लैग केप जलयान 'एमवी लेक डी' सागर लंगरगाह पर पहुंचा। यह श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट से 80 मील और हल्दिया गोदी परिसर (एचडीसी) से 25 मील दूर है। 'एमवी लेक डी' नेपाल के लिए 66,000 मैट्रिक टन स्टीम कोल कार्गो वाहित अपनी तरह का सबसे बड़ा केप वेसल है, जो 2011 में निर्मित हुआ था। इसने मास्टर मार्टिरेज़ अरलान नरिस्मा सहित 20 फिलिपिनो चालक दल के साथ पहली बार सागर में लंगर डाला है, जो श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट को ऐसे बल्क कैरियर को संभालने के लिए पर्याप्त विशेषाधिकार प्रदान करता है।
यह जलयान 10 मई, 2021 को ऑस्ट्रेलिया के एबॉट प्वाइंट से रवाना हुआ और रास्ते में सिंगापुर में ईंधन लिया। इसके बाद विशाखापत्तनम में लगभग 95,810 मैट्रिक टन कार्गो उतारने के बाद जहाज सागर लंगर के लिए रवाना हुआ। इस पोत का पंजीकृत बंदरगाह पनामा है। विनीत कुमार, अध्यक्ष, श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट ने बताया कि दुनिया के सबसे लंबे और सबसे अप्रत्याशित नेविगेशनल चैनलों में से एक और प्राकृतिक बाधाओं के कारण अनुरक्षण की समस्याओं के बावजूद 9.2 मीटर ड्राफ्ट के सागर एंकरेज में ऐसे केप वेसल का आगमन श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट के लिए मील का पत्थर है।
संपूर्ण कार्गो की अनलोडिंग दो फ्लोटिंग क्रेन के जरिए शुरू हुई और बार्ज के माध्यम से ले जाया गया। विनीत कुमार ने आगे कहा कि एमवी लेक डी का आगमन न केवल सागर में पहला केप पोत होने के कारण महत्वपूर्ण है बल्कि 66,000 मैट्रिक टन कार्गो के वहन के लिए भी है, अन्यथा अलग-अलग दो-तीन जहाजों की आवश्यकता होती।