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बंगाल के सभी जिलों और कमिश्नरियों में अलग-अलग डाग स्क्वायड बनाने के लिए 216 कुत्ते खरीदेगी पुलिस

Dog Squads बंगाल के सभी जिलों और कमिश्नरेट इलाकों में कमिश्नरेट जिला पुलिस और रेलवे पुलिस समेत 38 जगहों पर डाग स्क्वायड का गठन किया जाएगा। प्रत्येक डाग स्क्वायड में चार सारमेय होंगे। इनमें से दो क्राइम ट्रैकर होंगे बाकी दो स्निफर होंगे।

By Babita KashyapEdited By: Published: Sat, 06 Nov 2021 02:13 PM (IST)Updated: Sat, 06 Nov 2021 02:13 PM (IST)
बंगाल के सभी जिलों और कमिश्नरियों में अलग-अलग डाग स्क्वायड बनाने के लिए 216 कुत्ते खरीदेगी पुलिस
जिला पुलिस और रेलवे पुलिस समेत 38 जगहों पर डाग स्क्वायड का गठन किया जाएगा।

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। सभी जिलों और कमिश्नरेट में अलग-अलग डाग स्क्वायड बनाने के लिए पुलिस 216 कुत्ते खरीदना चाहती है। दरअसल खुफिया पुलिस को रहस्यों को सुलझाने में परेशानी होती है और कई मामलों में खोजी कुत्तों द्वारा उनका पता लगाया जाता है। इसलिए पुलिस राज्य के सभी जिलों और कमिश्नरेट इलाकों में अलग-अलग डाग स्क्वायड बनाना चाहती है। इसलिए वे हर जगह डाग केनल यानी कुत्तों के आशियाना होंगे।

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हाल ही में राज्य पुलिस ने इस आशय का प्रस्ताव भेजा है। पुलिस को उम्मीद है कि जल्द ही प्रशासन की सहमति मिल जाएगी। राज्य सचिवालय को भेजे प्रस्ताव के मुताबिक कमिश्नरेट, जिला पुलिस और रेलवे पुलिस समेत 38 जगहों पर डाग स्क्वायड का गठन किया जाएगा। प्रत्येक डाग स्क्वायड में चार सारमेय होंगे। इनमें से दो 'क्राइम ट्रैकर' होंगे, बाकी दो 'स्निफर' होंगे। सीमावर्ती जिलों जैसे को कूचबिहार, जलपाईगुड़ी, मालदा को एक-एक अतिरिक्त कुत्ता मिलेगा। भवानी भवन ने डाग स्क्वायड के लिए पशु चिकित्सक नियुक्त करने का प्रस्ताव भी भेजा है।

नए पुलिस आयुक्तालय में कुशल खोजी कुत्ते नहीं

-राज्य पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि नए पुलिस आयुक्तालय में कोई कुशल खोजी कुत्ते नहीं हैं। इसलिए जांच या अन्य काम की जरूरत पड़ने पर अलग-अलग जिलों से कुत्तों को लाना पड़ता है। झाड़ग्राम जिला पुलिस के पास कुत्ते नहीं हैं। विभिन्न जरूरतों के लिए कुत्तों को मेदिनीपुर से लाना पड़ता है। सीआइडी मुख्यालय भवानी भवन के सूत्रों के मुताबिक, फिलहाल राज्य पुलिस के पास 60 कुत्ते हैं।उनमें से 10 बैरकपुर के स्वामी विवेकानंद प्रशिक्षण केंद्र में हैं। अन्य कुत्ते विभिन्न जिला, पुलिस आयुक्तालयों और रेलवे पुलिस के हाथ में हैं। कहीं भी दो से अधिक कुत्ते नहीं हैं।

ड्रग्स व विस्फोटकों की पहचान करने में मिलेगी मदद

-यदि नया प्रस्ताव लागू होता है तो प्रत्येक डाग यूनिट में चार या पांच कुत्ते होंगे। अधिकारियों का मानना ​​है कि इससे अपराध पर अंकुश लगाने या ड्रग्स और विस्फोटकों की पहचान करने में मदद मिलेगी। एक से दो माह की आयु के कुत्तों को छह माह के प्रशिक्षण के साथ कार्य के लिए यूनिट में भेजा जाएगा। उन्हें पूरी नौकरी मिलेगी। वेतन नियमित रहेगा। वेतन कुत्ते से संबंधित कर्मचारियों पर खर्च किया जाता है।

लैब्राडोर और जर्मन शेफर्ड खरीदने की योजना

-राज्य पुलिस सूत्रों के अनुसार, लैब्राडोर और जर्मन शेफर्ड कुत्तों को खरीदने की योजना है। लैब्राडोर सूंघकर शिकार खोजने में सक्षम है। इनकी सूंघने की शक्ति बहुत तेज होती है। शांत और बुद्धिमान होने के कारण उन्हें प्रशिक्षित करना भी अपेक्षाकृत आसान है। जर्मन शेफर्ड मूल रूप से एक 'क्राइम ट्रैकर' है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि इन दो नस्लों के अलावा, कुत्तों की अन्य नस्लों को बाद में खरीदा जा सकता है।राज्य के एक शीर्ष पुलिस अधिकारी ने कहा कि कोलकाता पुलिस के डाग स्क्वायड में 38 कुत्ते हैं। ये अपराध से निपटने में माहिर होते हैं। हम चाहते हैं कि राज्य पुलिस की सभी इकाइयां डाग फोर्स में दक्ष हों।


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