कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा- बिजली बिल से जमीन का मालिकाना नहीं होगा प्रमाणित
कलकत्ता हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि स्थायी ठिकाने के रूप में बिजली बिल वैध प्रमाण नहीं है।
कोलकाता, जागरण संवाददाता, : कलकत्ता हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि स्थायी ठिकाने के रूप में बिजली बिल वैध प्रमाण नहीं है। देश में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर जारी हिंसा के बीच लोग अपनी नागरिकता प्रमाण करने संबंधी दस्तावेज सहेज रहे हैं, ऐसे में बिजली बिल की प्रामाणिकता कितनी है? इस संबंध में दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह निर्देश दिया। मंगलवार को मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश राजशेखर ने कहा कि किसी भी जमीन के मालिकाना हक या स्थायी ठिकाना के लिए बिजली बिल वैध प्रमाण कतई नहीं हो सकता। बिजली बिल पर स्थान का नाम रहने पर भी यह प्रमाण नहीं होता कि वह स्थाई निवासी है।
दरअसल दक्षिण कोलकाता निवासी एक महिला की शिकायत है कि उनकी जमीन के एक बड़े हिस्से पर एक व्यक्ति ने अवैध रूप से कब्जा कर रखा है। फर्जी दस्तावेज के मार्फत उसने कलकत्ता इलेक्टि्रक सप्लाई कारपोरेशन (सीईएससी) से बिजली कनेक्शन लिया है और उसी बिजली के बिल के आधार पर वह जमीन पर मालिकाना हक का दावा कर रहा है। इसके बाद अमिना ने सीईएससी के खिलाफ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इस मामले पर सुनवाई करते हुए अदालत ने सीईएससी को मामले की जांच करने का निर्देश दिया था। सीईएससी ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा था कि उक्त व्यक्ति के पास जमीन के मालिकाना हक संबंधी कोई दस्तावेज मौजूद नहीं है।