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प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि परियोजना के कार्यान्वयन के लिए कृषि विभाग ने जारी की अधिसूचना

प्रधान मंत्री कृषि सम्मान निधि योजना परियोजना के क्रियान्वयन को लेकर केंद्र तथा राज्य सरकार में टकराव चल रहा है। भाजपा सवाल उठा रही है कि एक साल में तीन चरणों में 6000 रुपए का अनुदान प्राप्त करने वाली परियोजना को राज्य में शुरू क्यों नहीं किया जा रहा है।

By PRITI JHAEdited By: Published: Wed, 20 Jan 2021 01:06 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jan 2021 01:06 PM (IST)
प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि परियोजना के कार्यान्वयन के लिए कृषि विभाग ने जारी की अधिसूचना
कृषि विभाग ने 'प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि' परियोजना के तहत राज्य के किसानों को लाने की पहल की है।

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। राज्य के कृषि विभाग ने 'प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि' परियोजना के तहत राज्य के किसानों को लाने की पहल की है। कृषि विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुनील गुप्ता ने एक अधिसूचना जारी कर परियोजना के कार्यान्वयन की विस्तृत प्रक्रिया को बताया। इस परियोजना को लागू करने के लिए कई विभागों के सचिवों और कृषि सलाहकार प्रदीप मजुमदार सहित एक उच्च-स्तरीय समिति बनाई गई है।

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प्रमुख बिंदु

-परियोजना को लागू करने के लिए कई विभागों के सचिवों और कृषि सलाहकार सहित एक उच्च-स्तरीय समिति बनाई गई 

-एक राज्य नोडल अधिकारी केंद्र को किसानों के नामों की सूची को सत्यापित करने और भेजने के लिए प्रभारी हैं

-कृषि अधिकारी अतिरिक्त अधिकारी के स्तर पर उस अधिकारी को नियुक्त करेंगे। वह प्रत्येक जिले के लिए एक नोडल अधिकारी भी नियुक्त करेंगे। 

-कृषि विभाग के ब्लॉक अधिकारी भी सूची बनाने की प्रक्रिया में शामिल रहेंगे। योजना को लेकर केंद्र के साथ राज्य का चल रहा टकराव

एक राज्य नोडल अधिकारी केंद्र को किसानों के नामों की सूची को सत्यापित करने और भेजने के लिए प्रभारी हैं। कृषि अधिकारी अतिरिक्त अधिकारी के स्तर पर उस अधिकारी को नियुक्त करेंगे। वह प्रत्येक जिले के लिए एक नोडल अधिकारी भी नियुक्त करेंगे। कृषि विभाग के ब्लॉक अधिकारी भी सूची बनाने की प्रक्रिया में शामिल रहेंगे।

राज्य में प्रधान मंत्री कृषि सम्मान निधि योजना परियोजना के क्रियान्वयन को लेकर केंद्र तथा राज्य सरकार में टकराव चल रहा है। भाजपा लंबे समय से सवाल उठा रही है कि एक साल में तीन चरणों में 6,000 रुपए का कुल अनुदान प्राप्त करने वाली परियोजना को राज्य में शुरू क्यों नहीं किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हालांकि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को एक से अधिक बार लिखा। मुख्यमंत्री ने परियोजना का पैसा राज्य सरकार के माध्यम से किसानों को वितरित करने का प्रस्ताव दिया। लेकिन केंद्र सरकार इस प्रस्ताव पर सहमत नहीं हुई। कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री ने राज्य सचिवालय नवान्न से घोषणा की कि अगर उन्हें केंद्र सरकार से किसानों की सूची मिलती है, तो वे इसे सत्यापित करेंगी।

राज्य के लगभग 21.79 लाख किसानों ने नाम दर्ज कराया

राज्य के लगभग 21.79 लाख किसानों ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि परियोजना का लाभ उठाने के लिए पहले ही पोर्टल पर अपना नाम दर्ज कर लिया है। राज्य के कृषि विभाग ने एक बयान में कहा कि जिला और ब्लॉक स्तर के अधिकारी उन किसानों से स्व-घोषणा एकत्र करेंगे जिन्होंने पहले ही अपना नाम पंजीकृत कर लिया है। साथ ही वे भूमि विभाग के पोर्टल के माध्यम से उन किसानों की भूमि स्वामित्व की जानकारी सत्यापित करेंगे। फिर किसानों की सूची केंद्र को भेजी जाएगी। जिन लोगों ने अभी तक पोर्टल पर पंजीकरण नहीं कराया है, वे इस संबंध में मदद करेंगे।

केंद्रीय योजना राज्य सरकार की कृषकबंधु योजना से अलग

केंद्रीय योजना राज्य सरकार की कृषकबंधु योजना से अलग है, जो किसानों को प्रति वर्ष 5,000 रुपये तक की वित्तीय सहायता और 60 वर्ष की आयु से पहले मरने वाले परिवारों को दो लाख रुपए का मुआवजा प्रदान करती है। केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार, कुछ किसानों को इस परियोजना के लिए वित्तीय सहायता नहीं मिलती है।

यदि संबंधित किसान किसी सरकारी या सरकारी संगठन का कर्मचारी है या सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त होता है और उसे प्रति माह 10,000 रुपये से अधिक पेंशन मिलती है, तो उसे किसान सम्मान निधि परियोजना में कोई वित्तीय अनुदान नहीं मिलता है। डॉक्टर, इंजीनियर, वकील और चार्टर्ड अकाउंटेंट सहित कई पेशों को बाहर रखा गया है। आयकर का भुगतान करने वालों को भी केंद्रीय परियोजना का लाभ नहीं मिलेगा। हालांकि, संवैधानिक पदाधिकारी, मंत्री, सांसद, विधायक, नगर पालिकाओं के चेयरमैन और जिला परिषदों के अध्यक्ष इसके दायरे से बाहर हैं। इसीलिए इस परियोजना का लाभ पाने के लिए व्यक्ति को स्व-घोषणा करनी पड़ती है, वह इसके अंतर्गत नहीं आता है। इस योजना का लाभ लेने के लिए, किसान के पास जमीन होनी चाहिए। 


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