किशोर कुमार कार्निवल 2018: 10 साल से आयोजित इस कार्निवल की शुरुआत पदयात्रा से होती है
गायक किशोर कुमार की 89वीं जयंती पर ‘किशोर कुमार कार्निवल 2018’ का आयोजन किया गया।
कोलकाता, जेएनएन। महान गायक किशोर कुमार की 89वीं जयंती पर शनिवार को सलकिया किशोर कुमार मेमोरियल कल्चरल एसोसिएशन के तत्वावधान में ‘किशोर कुमार कार्निवल 2018’ का आयोजन किया गया। लगातार 10 साल से आयोजित इस कार्निवल की शुरुआत पदयात्रा से होती है। इसके बाद पूरे दिन किशोरमय सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होता है।
इसी क्रम में कोलकाता के इडेन गार्डेन से हावड़ा के धर्मतल्ला तक एक विशाल पदयात्रा का आयोजन हुआ। पदयात्रा का नेतृत्व कर रहे राज्य के युवा व खेल राज्य मंत्री व किशोर कुमार के बड़े फैन लक्ष्मीरतन शुक्ला ने बताया कि इस साल पूरे कार्निवल का उद्देश्य किशोर कुमार को भारत रत्न दिलाने की मुहीम को तेज करना है। पदयात्रा में विधायक सुजीत बोस, अभिनेता सोहम, पवन बनर्जी, मानव जायसवाल समेत एसोसिएशन के सदस्य व बड़ी संख्या में स्कूली बच्चे व आम नागरिक शामिल हुए।
मुहीम में किशोर कुमार के जन्म स्थान मध्य प्रदेश के खांडवा सहित देश के कई राज्यों से किशोर कुमार के फैन विशेष रूप से आए थे।
किशोर कुमार से नई पीढ़ी का परिचित होना जरूरी : अरूप
युवा व खेल मामलों के मंत्री अरूप विश्वास ने कहा कि गीत-संगीत व फिल्मों में किशोर कुमार का जो योगदान है, उससे नई पीढ़ी अनजान है इसलिए किशोर कुमार के योगदान और उनके महत्व को नई पीढ़ी के सामने लाना जरूरी है। किशोर कुमार को याद रखने के लिए उनका गीत संगीत ही पर्याप्त है। फिर भी नई पीढ़ी को उनसे परिचित कराने के लिए बहुत कुछ करना बाकी है।
विश्वास ने किशोर कुमार के जन्मदिन पर आयोजित एक संगीत कार्यक्रम में यह बातें कही। उन्होंने कहा कि किशोर कुमार के नगमे भुलाए नहीं जा सकते। इस मौके पर टालीवुड के मशहूर अभिनेता प्रसेनजीत चटर्जी समेत बांग्ला फिल्मों के अन्य अभिनेता-अभिनेत्री व कलाकार मौजूद थे।
किशोर दा एक महान गायक
भारतीय सिनेमा में अपनी आवाज़ के साथ-साथ अपनी चुलबुली अदाओं के लिए दर्शक किशोर कुमार को याद करते आये हैं। उनके द्वारा गाये गये गीतों से पता चलता है कि उनका बॉलीवुड संगीत में कितना योगदान है।“किशोर जैसे गायक सदियों में पैदा होते हैं, इस नायाब हीरे को संभालना हमारी ज़िम्मेदारी बनती है.” यहां ये भी गौर करने लायक है कि सचिन देव बर्मन को किशोर दादा अपना गुरू, अपना दोस्त मानते थे।
गायिका आशा भौंसले ने कहा था उनके साथ रिकार्डिंग का समय कैसे बीत जाता था कभी पता ही नहीं चलता था। वो सारा दिन हमें हंसाते रहते, अलग-अलग आवाज़ों में गाकर स्टूडियो में लोगों को चौंकाते रहते।”