कश्मीरी डॉक्टर की बेटियों का दोस्तों पर बहिष्कार का आरोप
-कश्मीरी डॉक्टर ने दावा किया था कि उन्हें मिल रही है धमकियां -बंगाल सरकार ने सुरक्षा के लिए उ
-कश्मीरी डॉक्टर ने दावा किया था कि उन्हें मिल रही है धमकियां
-बंगाल सरकार ने सुरक्षा के लिए उठाए हैं कदम
जागरण संवाददाता, कोलकाता: पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद धमकिया मिलने का दावा करने वाले कश्मीरी डॉक्टर की बेटियों को स्कूल में उपेक्षा का सामना करना पड़ रहा है। कोलकाता में 22 वर्ष से रह रहे एक कश्मीरी डॉक्टर ने दावा किया था कि पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद उसे शहर छोड़ने या फिर 'गंभीर परिणाम' भुगतने की धमकी दी जा रही है।
गौरलतब है कि जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में 14 फरवरी को हुए आतंकवादी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे और कई अन्य घायल हुए थे। डॉक्टर ने सोमवार को हालाकि पश्चिम बंगाल सरकार के उसके बचाव में आने के बाद वहीं रहने का निर्णय किया था। डॉक्टर की नौ और सात वर्षीय दो बेटिया हैं जो शहर के एक बड़े अंग्रेजी माध्यम स्कूल में पढ़ती हैं। पश्चिम बंगाल राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष अनन्या चक्त्रवर्ती ने कहा कि स्कूल में दोनों बच्चियों के दोस्तों ने उन्हें अलग-थलग कर दिया है। चक्रवर्ती ही डॉक्टर और उनके परिवार की सुरक्षा सुनश्चित कर रही हैं। चकवर्ती ने कहा,' डॉक्टर ने मुझे बताया कि उनकी बेटियों के दोस्त उनसे सही से बात नहीं कर रहे। मैंने उनसे परेशान ना होने को कहा है। मैंने स्कूल अधिकारियों से बात की है और उन्होंने कहा कि वह मामले में हस्तक्षेप करेंगे।' उन्होंने बताया कि बच्चियों के साथ स्कूल जाने वाले कुछ बच्चों ने उनके साथ जाना बंद कर दिया है। कुछ ने उनसे बात करना भी बंद कर दिया है।
उन्होंने कहा,'हमने उन्हें पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया है। लेकिन यह एक भयावह स्थिति है जो ध्रुवीकरण के एकमात्र उद्देश्य के साथ जानबूझकर चुनाव से पहले बनाई जा रही है।' डॉक्टर ने मीडिया से बात करने से भी इन्कार कर दिया। नाम उजागर ना करने के अनुरोध पर सोमवार को डॉक्टर ने बताया था कि उन्हें तंग किया गया लेकिन उसने शुरुआत में धमकियों पर कोई ध्यान नहीं दिया। लेकिन चिंता तब बढ़ गई जब कुछ लोगों ने उनके घर के बाहर इकट्ठे होकर उनके पाकिस्तान ना जाने पर उनकी बेटी को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी। उन्होंने बताया कि पुलवामा हमले के एक दिन बाद 15 फरवरी को उनके (डॉक्टर के) घर लौटने के बाद 20 से 25 वर्ष की आयु के पाच व्यक्ति उसके घर पहुंचे और उन्हें तुरंत शहर छोड़ने की धमकी देते हुए कहा, 'पाकिस्तान वापस जाओ क्योंकि कश्मीरियों के लिए इस देश में कोई जगह नहीं है।' डॉक्टर ने कहा कि इस बार धमकी गंभीर लगी और उन्होंने शहर छोड़ने का मन बना लिया था लेकिन उन्होंने इससे पहले पश्चिम बंगाल सरकार से सम्पर्क करने का फैसला किया। इसके बाद पश्चिम बंगाल राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष अनन्या चक्रवर्ती ने उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने का आश्वासन दिया था।