Bengal विधानसभा में पहली बार वामो विधायकों की अनुपस्थिति में मनी ज्योति बसु की जयंती
बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु की जयंती का गुरुवार को विधानसभा में पहली बार वाममोर्चा के विधायकों की अनुपस्थिति में पालन हुआ। कारण इस बार बंगाल विधानसभा में माकपा समेत किसी भी वामदल का एक भी विधायक नहीं है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु की जयंती का गुरुवार को विधानसभा में पहली बार वाममोर्चा के विधायकों की अनुपस्थिति में पालन हुआ। कारण, इस बार बंगाल विधानसभा में माकपा समेत किसी भी वामदल का एक भी विधायक नहीं है। विधानसभा अध्यक्ष बिमान बंद्योपाध्याय ने विधानसभा परिसर में लगे ज्योति बसु के तैल चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इसके बाद तृणमूल कांग्रेस के विधायकों ने भी उन्हें श्रद्धा-सुमन अर्पित किए। भाजपा विधायकों ने भी उनकी तस्वीर पर पुष्प अर्पित किए।
फुरफरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट के एकमात्र विधायक नौशाद सिद्दीकी ने भी बसु को श्रद्धांजलि दी। आइएसएफ ने वाममोर्चा के साथ गठबंधन करके बंगाल विधानसभा चुनाव लड़ा था। इस तरह से देखा जाए तो वे वाममोर्चा का परोक्ष तौर पर प्रतिनिधित्व करने वाले एकमात्र विधायक थे।
मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी इस दिन विधानसभा में उपस्थित नहीं थीं। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने भी ज्योति बसु को श्रद्धांजलि दी।
उत्तर 24 परगना जिले की कमरहट्टी विधानसभा सीट से तृणमूल कांग्रेस विधायक और राज्य के पूर्व मंत्री मदन मित्रा ने तो सार्वजनिक तौर पर ज्योति बसु को अपना 'गुरु" बताया। गौरतलब है कि कम्युनिस्ट राजनीति के पितामह कहे जाने वाले ज्योति बसु के नाम किसी राज्य के मुख्यमंत्री पद पर सर्वाधिक लंबे समय तक आसीन रहने का अनोखा रिकार्ड रहा था। उनका कार्यकाल भूमि सुधारों के लिए प्रसिद्ध रहा है। उनकी देशभर में स्वीकार्यता का एक प्रमाण यह है कि 1996 में देश के प्रधानमंत्री पद के लिए उनके नाम का प्रस्ताव किया गया पर कुछ कारणों से वह इस पद पर पहुंच नहीं सके।