जूट ट्रेड यूनियनों का श्रमिकों व उद्योग की आजीविका बचाने के लिए कपड़ा मंत्री से हस्तक्षेप का आग्रह
बंगाल चटकल मजदूर यूनियन ने कहा कि हमने केंद्रीय कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल के हस्तक्षेप की मांग करते हुए एक पत्र भेजा है। मजदूरों के प्रतिनिधियों ने पत्र में कहा कि पिछले दो वर्षों में श्रमिकों की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हुई है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता । नौ प्रमुख ट्रेड यूनियनों ने संयुक्त रूप से केंद्रीय कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर जूट उद्योग के संकट पर उनका ध्यान आकर्षित किया है। यूनियनों का कहना है कि जूट उद्योग पर संकट से श्रमिकों की आजीविका प्रभावित हो रही है। हाल के एक पत्र में यूनियनों ने बंगाल की जूट मिलों में बड़े पैमाने पर तालाबंदी या काम के निलंबन का उल्लेख किया और मिल श्रमिकों, उत्पादकों और उद्योग से जुड़े अन्य लोगों की आजीविका की रक्षा के लिए त्वरित कार्रवाई की मांग की ।
बंगाल चटकल मजदूर यूनियन के महासचिव अनादी साहू ने कहा कि हमने केंद्रीय कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल के हस्तक्षेप की मांग करते हुए एक पत्र भेजा है। मजदूरों के प्रतिनिधियों ने पत्र में कहा कि लाकडाउन के दौरान मजदूरी का भुगतान न होने, आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि और कई मिलों में बार-बार तालाबंदी / काम के निलंबन के कारण पिछले दो वर्षों में श्रमिकों की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हुई है। जिन यूनियनों ने संयुक्त रूप से मंत्री को पत्र लिखा है उनमें सीटू, इंटक, एटक, बीएमएस और एचएमएस शामिल हैं।
पत्र में कहा गया है कि जूट मिल के नियोक्ताओं ने इस बीच में बंगाल में मुख्य रूप से कच्चे जूट की अनुपलब्धता के आधार पर कई मिलों में तालाबंदी या काम के निलंबन की घोषणा की है। इससे एक लाख से अधिक श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी इस घटनाक्रम से अवगत कराया गया है। केंद्र ने जूट मिलों के कच्चे जूट के उचित मूल्य को मौजूदा घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कीमतों के अनुरूप 7,200 रुपये प्रति क्विंटल करने के अनुरोध को ठुकरा दिया था। पत्र में कहा गया है कि चूंकि जूट मिल के कर्मचारी अचानक तालाबंदी या मिलों में काम के निलंबन के लिए जिम्मेदार नहीं हैं, इसलिए वे छंटनी भत्ते के हकदार हैं।
सूक्ष्म-वित्त क्षेत्र के लिए ऋण गारंटी योजना की सीमा बढ़ाने की मांग
सूक्ष्म-वित्त क्षेत्र ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से आगामी बजट में ऋण गारंटी योजना की सीमा बढ़ाने का अनुरोध किया है। सूक्ष्म-वित्त क्षेत्र की स्वनियामकीय संस्था 'सा-धन' ने वित्त वर्ष 2022-23 के बजट के बारे में वित्त मंत्रालय को सौंपी गई अपनी अनुशंसा में कहा है कि यह क्षेत्र ऋण की ऊंची लागत और कम लागत वाले दीर्घावधि कोषों तक पहुंच से जुड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा है। ऐसे में क्षेत्र को सरकार से समर्थन की जरूरत है। सा-धन के कार्यकारी निदेशक पी सतीश ने कहा कि सूक्ष्म-वित्त क्षेत्र वृद्धि एवं खपत को तेजी देने में एक अहम भूमिका निभाता है। लेकिन महामारी के दौर में खासकर छोटे सूक्ष्म वित्त संस्थानों की स्थिति पर बुरा असर पड़ा है। क्षेत्र के समक्ष मौजूद चुनौतियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बजट में इस क्षेत्र के लिए ऋण गारंटी योजना की अवधि बढ़ाने की घोषणा करनी चाहिए।