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जूट आयुक्त ने कच्चे जूट की कीमत को 7,200 रुपये प्रति क्विंटल करने के भारतीय जूट मिल संघ के सुझाव को नकार

जूट आयुक्त ने कच्चे जूट की कीमत को 7200 रुपये प्रति क्विंटल करने के भारतीय जूट मिल संघ (आइजेएमए) के सुझाव को नकार दिया है। इसके साथ ही जूट आयुक्त ने जूट से बने बोरों के लिए एक कीमत दायरा तय करने को भी कहा है।

By Priti JhaEdited By: Published: Mon, 29 Nov 2021 01:22 PM (IST)Updated: Mon, 29 Nov 2021 05:57 PM (IST)
जूट आयुक्त ने कच्चे जूट की कीमत को 7,200 रुपये प्रति क्विंटल करने के भारतीय जूट मिल संघ के सुझाव को नकार
जूट मिल संघ ने दिया कच्चे जूट की कीमत बढ़ाने का सुझाव

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। जूट आयुक्त ने कच्चे जूट की कीमत को 7,200 रुपये प्रति क्विंटल करने के भारतीय जूट मिल संघ (आइजेएमए) के सुझाव को नकार दिया है। इसके साथ ही जूट आयुक्त ने जूट से बने बोरों के लिए एक कीमत दायरा तय करने को भी कहा है। आइजेएमए ने जूट आयुक्त को कच्चे जूट की कीमत को 6,500 रुपये से बढ़ाकर 7,200 रुपये प्रति क्विंटल करने का सुझाव दिया था। राज्य सरकार ने खाद्यान्न भंडारण में इस्तेमाल होने वाले जूट के बोरों की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी को लेकर जूट उत्पादकों की राय मांगी थी। जूट आयुक्त ने आइजेएमए को लिखे अपने एक पत्र में इस सुझाव को अस्वीकार कर दिया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि पश्चिम बंगाल सरकार की बुलाई गई बैठक में जूट-निर्मित बोरे की अधिकतम कीमत 100 रुपये प्रति बोरा तय करने का प्रस्ताव रखा गया है।

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जूट नियामक ने कहा है कि इस प्रस्ताव के बारे में जूट मिल संघ भी अपना पक्ष रखेगा। उन्होंने कहा कि है कच्चे जूट की कीमत बढ़ाने के बजाय जूट-निर्मित बोरे की अधिकतम कीमत तय करना उचित होगा। इस बीच आइजेएमए चेयरमैन राघव गुप्ता ने कहा कि उनका संगठन जूट आयुक्त की तरफ से रखे गए प्रस्ताव पर अभी राजी नहीं हुआ है। इसके लिए संगठन के अधिक सदस्यों के साथ विचार के बाद ही कोई फैसला किया जाएगा।

आइजेएमए सूत्रों ने बताया कि हमारे सदस्य राज्य सरकार की इस चिंता को समझते हैं कि जूट की कीमतें बढ़ने से उससे बनने वाले बोरों की कीमतों में भी वृद्धि की इजाजत नहीं दी जा सकती है। ऐसे में आइजेएमए प्रस्ताव रखता है कि टीडीएन3 किस्म की जूट की अधिकतम कीमत को बढ़ाकर 7,200 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया जाए। जूट आयुक्त ने इस किस्म के जूट के लिए 6,500 रुपये प्रति क्विंटल की दर तय की है लेकिन परिवहन खर्च जोड़ने के बाद मिलों को इस पर करीब 7,000 रुपये प्रति क्विंटल की लागत आती है। इसकी वजह से उद्योग को घोषित मूल्य पर कच्चा माल नहीं मिल पा रहा है। लिहाजा सरकार को जूट-निर्मित बोरे की कीमत की गणना में इस पहलू को भी ध्यान में रखना चाहिए।

जूट मिल संगठन के मुताबिक, कच्चे जूट के व्यापार में बाजार ताकतों को खुली मंजूरी देने की स्थिति में कीमतें 7,200 रुपये प्रति क्विंटल से नीचे भी आ सकती हैं जिसके बाद बी-ट्विल की कीमत कम रखी जा सकती है। आइजेएमए ने कहा कि उसकी तरफ से सुझाए गए प्रस्तावित कदम चालू जूट वर्ष के अंत यानी 30 जून, 2022 तक लागू रहने चाहिए।

जूट कीमतों के मसले पर बंगाल सरकार ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और कपड़ा मंत्रालय से भी संपर्क साधा है। इस दौरान कच्चे जूट की कीमत बढ़ाने के आइजेएमए के सुझाव पर भी चर्चा हुई है। इस बीच, जूट भंडारण की सीमा को लेकर जूट आयुक्त की तरफ से जारी आदेश के खिलाफ व्यापारियों की तरफ से प्रदर्शन भी हुए हैं। 


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