उत्पीड़न का झूठा आरोप लगाने वाली महिला को दो माह की जेल
महिला की शिकायत पर पॉक्सो एक्ट के तहत 40 वर्षीय नाई को गिरफ्तार कर लिया गया था और उसके बाद से वह करीब दो महीने से जेल में था।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। एक व्यक्ति पर अपनी नाबालिग बेटी के यौन उत्पीड़न का झूठा आरोप लगाकर उसे फंसाने की कोशिश करना महिला को महंगा पड़ गया। सियालदह कोर्ट ने प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस एक्ट (पॉक्सो) के दुरुपयोग में उसे दो महीने की जेल की सजा सुनाई है। सरकारी अधिवक्ता विवेक शर्मा ने बताया कि महिला ने जून महीने में फूलबगान थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि एक नाई ने उसकी आठ साल की बेटी का यौन उत्पीड़न किया, जिसके पास वह उसे बाल कटवाने ले गई थी।
महिला की शिकायत पर पॉक्सो एक्ट के तहत 40 वर्षीय नाई को गिरफ्तार कर लिया गया था और उसके बाद से वह करीब दो महीने से जेल में था। इस सप्ताह की शुरुआत में सियालदह कोर्ट में विशेष न्यायाधीश (पी) जिमुत बहन विश्वास की अदालत में इस मामले की सुनवाई के दौरान जब बच्ची की मां यानी आरोप लगाने वाली महिला से गवाह के तौर पर पूछताछ की गई, तब उसने खुद स्वीकार किया कि उसने झूठा आरोप लगाया है, हालांकि उन्होंने अदालत को झूठा आरोप लगाने का कारण नहीं बताया। इससे पहले महिला ने मजिस्ट्रेट के सामने गोपनीय बयान में भी झूठा आरोप लगाने की बात को स्वीकार किया।
इसके बाद विशेष न्यायाधीश ने नाई को सभी आरोपों से बरी करते हुए उसकी रिहाई का आदेश दिया। साथ ही, झूठा आरोप लगाने वाली महिला को दो महीने की जेल की सजा सुनाई। इसके बाद महिला को हिरासत में लेते हुए सुधार गृह भेज दिया गया।
जानकारी के मुताबिक, आरोपित ने जितना वक्त बेवजह जेल में बिताया, उतने ही दिनों की महिला को सजा सुनाई गई है। सरकारी अधिवक्ता ने बताया कि पॉक्सो एक्ट के तहत झूठे आरोप लगाने वालों को छह महीने तक की सजा का प्रावधान है।