West Bengal: जादवपुर विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनावः वामो के गढ़ में एबीवीपी ने पसारे पैर
jadavpur university. जादवपुर विश्वविद्यालय में आखिरकार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद अपनी पैठ जमाने में कामयाब रहा।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। jadavpur university. बंगाल की छात्र राजनीति में वाममोर्चा (वामो) के सबसे मजबूत दुर्ग माने जाने वाले जादवपुर विश्वविद्यालय (जेयू) में आखिरकार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) अपनी पैठ जमाने में कामयाब रहा। गुरुवार को घोषित हुए जेयू के छात्र संघ के चुनाव के नतीजे में एबीवीपी ने माकपा के छात्र संगठन स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआइ) को पीछे धकेलते हुए दूसरे स्थान पर कब्जा जमा लिया।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इस छात्र संगठन ने जेयू के इतिहास में पहली बार कला व इंजीनियरिंग विभाग के सीपी, जीएस, एजीएस डे, एजीएस इवनिंग समेत सभी पदों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। इंजीनियरिंग विभाग में कुल 1405 वोट पड़े, जिनमें से डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फ्रंट (डीएसएफ) को 1167 वोट मिले। एबीवीपी की झोली में 115 वोट आए, वहीं एसएफआइ को 70 वोट मिले यानी एसएफआइ को पीछे छोड़कर एबीवीपी ने दूसरा स्थान हासिल कर लिया। एसएफआइ तीसरे स्थान पर आ गया। वहीं, तृणमूल कांग्रेस छात्र परिषद को महज 29 वोट के साथ चौथे स्थान पर संतोष करना पड़ा। नोटा के लिए भी 22 वोट पड़े। डीएसएफ का पहले भी इस पर कब्जा था।
इसी तरह विज्ञान विभाग में भी डब्ल्यूयूटीआइ ने अपना कब्जा बरकरार रखते हुए निकटतम प्रतिद्वंद्वी एसएफआइ को हराया। जेयू के कला, विज्ञान व इंजीनियरिंग विभाग के लिए चुनाव बुधवार को हुए थे। छात्र संघ का चुनाव होने के बावजूद जेयू परिसर में पिछले कुछ समय के दौरान हुई घटनाओं के कारण सबकी इसपर नजर थी। पिछले साल यहीं केंद्रीय राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो का छात्रों ने घेराव किया था, जिन्हें छुड़ाने खुद बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को आना पड़ा था।
ढाई वर्ष बाद जादवपुर विवि में छात्रसंघ का चुनाव
ढाई वर्ष से लगातार छात्र आंदोलन के बाद बुधवार को जादवपुर विश्वविद्यालय में छात्रसंघ का चुनाव हुआ। विश्वविद्यालय के तीनों संकायों कला, विज्ञान और इंजीनियरिंग में चुनाव हुए। वर्ष 2016 में राज्य के शिक्षाविभाग की ओर से निर्देशिका जारी कर छात्रसंघ चुनाव बंद करा दिए गए थे। कुल ढाई साल तक राज्य के शिक्षण संस्थानों में छात्रसंघ चुनाव बंद थे। हालांकि इन ढाई सालों में छात्रसंघ चुनाव को लेकर विभिन्न छात्र संगठनों ने चरम आंदोलन किए। उसके बाद गत 2016 के नवंबर माह में प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय को सबसे पहले छात्रसंघ चुनाव की अनुमति मिली। उसके बाद दूसरी अनुमति जादवपुर विश्वविद्यालय को मिली। इसमें एम.फिल के छात्र भी मतदान कर सकेंगे। पहली बार मतदान के नियमों में बदलाव करते हुए एम.फिल के छात्रों को मतदान की अनुमति दी गई है। अब तक एम.फिल के विद्यार्थियों को मतदान का अधिकार नहीं था।
एबीवीपी ने पहली बार उतारे अपने उम्मीदवार
वहीं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) वाममोर्चा राजनीति के गढ़ यादवपुर विश्वविद्यालय के छात्रसंघ के चुनाव में पहली बार अपने उम्मीदवार उतारे। परिषद ने अभियांत्रिकी और कला संकाय के केंद्रीय पैनलों के लिए उम्मीदवार उतारे हैं। केंद्रीय पैनल में दो उपाध्यक्ष, दो महासचिव और चार सहायक महासचिव के पद हैं। अभाविप ने कक्षा प्रतिनिधि के पदों के लिए भी उम्मीदवार उतारे हैं। दक्षिणपंथी संगठन और माकपा समर्थित स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआइ) कला संकाय की 40 सीटों के लिए एक दूसरे से संघर्ष कर रहे हैं। अभियांत्रिकी संकाय में भी इतनी ही सीटें हैं। अभाविप के कला विभाग इकाई के अध्यक्ष सुभोदीप कर्मकार ने कहा कि जादवपुर विश्वविद्यालय का मतलब वामपंथी किला नहीं है। विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शक्तियां उभर रही हैं और हमें अच्छा करने की आस है। हालांकि स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया ने भी चुनाव जीतने का विश्वास प्रकट किया है।