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इस्कॉन मुख्यालय के गुंडिचा मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलदेव और देवी सुभद्रा को चढ़ाया छप्पन भोग

रथ यात्रा के अगले दिन बुधवार को मायापुर के इस्कॉन मुख्यालय के गुंडिचा मंदिर में भगवान जगन्नाथ बलदेव और देवी सुभद्रा को छप्पन भोग चढ़ाया गया।

By Vijay KumarEdited By: Published: Wed, 24 Jun 2020 05:31 PM (IST)Updated: Thu, 25 Jun 2020 09:29 AM (IST)
इस्कॉन मुख्यालय के गुंडिचा मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलदेव और देवी सुभद्रा को चढ़ाया छप्पन भोग
इस्कॉन मुख्यालय के गुंडिचा मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलदेव और देवी सुभद्रा को चढ़ाया छप्पन भोग

राज्य ब्यूरो,कोलकाताः कोरोना महामारी के चलते बंगाल में वार्षिक रथ यात्रा उत्सव बेहद सादगी भरा रहा। रथ यात्रा के अगले दिन बुधवार को मायापुर के इस्कॉन मुख्यालय के गुंडिचा मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलदेव और देवी सुभद्रा को छप्पन भोग चढ़ाया गया। श्रद्धालुओं ने भगवान जगन्नाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की। 

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राज्य के किसी हिस्से में नहीं निकाली गई रथ यात्रा 

भीड़ एकत्र नहीं करने के दिशानिर्देश के मद्देनजर राज्य के किसी हिस्से में रथ यात्रा नहीं निकाली गई, लेकिन पुजारियों और श्रद्धालुओं ने पारंपरिक अनुष्ठान किए। इस दौरान सामाजिक दूरी के नियमों का सख्ती से पालन किया गया। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को लोगों को जगन्नाथ रथ यात्रा के अवसर पर बधाई दी।बनर्जी ने ट्वीट किया,‘ रथ यात्रा उत्सव के मौके पर मेरे सभी भाई-बहनों को शुभकामनाएं। भगवान जगन्नाथ वैश्विक महामारी कोविड-19 संकट के समय सभी पर अपना आशीर्वाद बनाए रखें। जय जगन्नाथ।’ नौ दिवसीय त्योहार को रथ यात्रा उत्सव के तौर पर मनाया जाता है। इस दौरान भगवान जगन्नाथ, बलराम और देवी सुभद्रा के रथों की यात्रा निकाली जाती है। 

कोलकाता इस्कॉन के प्रवक्ता राधारमन दास ने कहा कि कोलकाता के इस्कॉन मंदिर में सभी धार्मिक अनुष्ठान मंदिर परिसर में ही किए गए। दास ने कहा,' जैसे छोटे बच्चे खींचते हैं, ऐसे तीन छोटे रथ मंदिर परिसर में थोड़ी दूरी पर ही सेवकों द्वारा खींचे गए। आमतौर पर हर साल तीनों देवी-देवताओं की मूर्तियां रथ पर रखकर मैदानी इलाके में लाई जाती हैं। इस साल, सभी अनुष्ठान मंदिर के भीतर ही पूरे किए गए।' उन्होंने कहा कि पिछले साल रथ यात्रा निकालने के लिए करीब चार लाख लोग एकत्र हुए थे।

इस्कॉन के मायापुरी केंद्र में चंद्रदया मंदिर में पुजारियों एवं सेवकों के अलावा सीमित संख्या में श्रद्धालुओं को जाने की अनुमति दी गई। इस्कॉन मायापुर के प्रवक्ता सुब्रत दास ने बताया कि परिसर में ही एक अस्थाई मंदिर स्थापित किया गया, जहां तीनों देवी-देवताओं की प्रतिमाएं आठ दिन के लिए रखी जाएंगी। उन्होंने कहा कि पूरी तरह से स्क्रीनिंग और संक्रमणमुक्त करने के बाद ही श्रद्धालुओं को पूजा करने की अनुमति दी जाएगी।


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