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West Bengal: गले से रीढ़ की हड्डी के पास पहुंचा लोहे का टुकड़ा, डॉक्टरों ने जटिल ऑपरेशन कर निकाला

West Bengal डॉक्टरों ने जटिल ऑपरेशन कर एक मैकेनिक की रीढ़ की हड्डी के पास से मटर के दाने जैसा एक लोहे का टुकड़ा निकाला है जो काम करने के दौरान उसके गले से श्वास नली होते हुए वहां जा पहुंचा था। मैकेनिक मुर्शिदाबाद के बरहमपुर का रहने वाला है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sun, 13 Jun 2021 04:47 PM (IST)Updated: Sun, 13 Jun 2021 04:47 PM (IST)
West Bengal: गले से रीढ़ की हड्डी के पास पहुंचा लोहे का टुकड़ा, डॉक्टरों ने जटिल ऑपरेशन कर निकाला
गले से रीढ़ की हड्डी के पास पहुंचा लोहे का टुकड़ा, डॉक्टरों ने जटिल ऑपरेशन कर निकाला। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। कोलकाता के एसएसकेएम हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने जटिल ऑपरेशन कर एक मैकेनिक की रीढ़ की हड्डी के पास से मटर के दाने जैसा एक लोहे का टुकड़ा निकाला है, जो काम करने के दौरान उसके गले से श्वास नली होते हुए वहां जा पहुंचा था। मैकेनिक मुर्शिदाबाद के बरहमपुर का रहने वाला है। डॉक्टरों के मुताबिक अगर लोहे का टुकड़ा अंदर रह गया होता तो धीरे धीरे संक्रमण बढ़ने का खतरा था और इससे मरीज की जान भी जा सकती थी। गत नौ जून को गैरेज में मैकेनिक का काम करने वाला 38 वर्षीय गौरांग हलदार के साथ यह हादसा उस वक्त हुआ, जब वह हथौड़े से मारकर कार के पुर्जे पीट रहा था। उसने बताया कि इस दौरान उसके गले में अचानक दर्द हुआ। गले पर हाथ रखकर उसने देखा कि एक बहुत ही छोटे से रिसाव से खून निकल रहा है। जब वह एक स्थानीय डॉक्टर के पास गया तो गले के सामने से लोहे का एक छोटा सा टुकड़ा निकाला। लेकिन दर्द कम नहीं हुआ। उसके बाद उसे स्थानीय नर्सिंग होम ले जाया गया, जहां जांच की गई तो पता चला कि उसके गले में लोहे का एक और टुकड़ा फंसा हुआ है।

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करीब साढ़े तीन घंटे के ऑपरेशन के बाद डॉक्टर ने निकाला लोहे का टुकड़ा

गौरांग को उसी रात सरकारी मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल एसएसकेएम में भर्ती कराया गया। नाक-कान-गला विभाग (ईएनटी) के डॉक्टर अरिंदम दास ने कहा कि युवक के गले के एक्स-रे में उसकी रीढ़ के पास उसकी श्वासनली में लोहे का एक टुकड़ा फंसा हुआ दिखा। अगले दिन 10 जून को डॉक्टरों ने गले का सीटी स्कैन किया। डॉक्टर दास ने कहा कि सीटी स्कैन से पता चलता कि लोहे का छोटा टुकड़ा कहां है और गले के अंदर क्या नुकसान हुआ है। डॉक्टर का कहना था कि गले के उस हिस्से में बहुत महीन नसें और धमनियां होती हैं, जिससे मस्तिष्क का जोड़ होता है। इसलिए गला कटने का खतरा था। ईएनटी विभाग के डॉक्टरों अरूणाव सेनगुप्ता, अरिंदम दास, पौलमी साहा, अनिकेत चौधरी और सृजन साहा ने एसएसकेएम के ट्रॉमा केयर में सर्जरी में हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि सी-आर्म डिवाइस (सर्जरी के दौरान मरीज के अंगों का लगातार एक्स-रे करता रहता है) के जरिए लोहे के टुकड़े की सही जगह का पता लगाकर करीब साढ़े तीन घंटे के ऑपरेशन के बाद उसे निकाला गया। 


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