विश्वभारती प्रबंधन को पूर्व कुलपति-रजिस्ट्रार की बकाया राशि का भुगतान करने का निर्देश
कलकत्ता हाईकोर्ट फरमान पूर्व कुलपति को गैरकानूनी तरीके से पद पर बने रहने के आरोप में कर दिया गया था निलंबित। कलकत्ता हाईकोर्ट ने विश्वभारती प्रबंधन को विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति सबूजकली सेन और पूर्व रजिस्ट्रार सौगत चट्टोपाध्याय की समस्त बकाया राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया है।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। कलकत्ता हाईकोर्ट ने विश्वभारती प्रबंधन को विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति सबूजकली सेन और पूर्व रजिस्ट्रार सौगत चट्टोपाध्याय की समस्त बकाया राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया है। गौरतलब है कि बिद्युत चक्रवर्ती ने कुलपति का पदभार संभालने के बाद दोनों के खिलाफ अनुशासनात्मक कदम उठाए थे। सौगत चट्टोपाध्याय ने इस कार्रवाई को अदालत में चुनौती दी थी।
सबूजकली सेन तीन साल पहले कार्यवाहक कुलपति नियुक्त की गई थीं, जब यह पद रिक्त हुआ था। उन्होंने तीन फरवरी, 2018 को पदभार संभाला था और उनका कार्यकाल 24 फरवरी को समाप्त होने वाला था लेकिन उससे पहले ही कार्यकारी समिति ने 17 फरवरी को नए कुलपति की नियुक्ति के लिए बैठक बुला दी थी। बैठक में वोटिंग हुए बिना ही सबूजकली सेन को हटा दिया गया था, हालांकि बाद में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने उन्हें कुलपति के पद पर बने रहने की अनुमति दी थी।
नवंबर, 2019 में बिद्युत चक्रवर्ती के नए कुलपति नियुक्त होने पर सबूजकली सेन ने उन्हें पदभार सौंपने से इन्कार कर दिया था, जिसके बाद बिद्युत चक्रवर्ती ने उनपर गैरकानूनी तरीके से पद पर बने रहने का आरोप लगाते हुए निलंबित कर दिया था। आंतरिक तौर पर इस मामले के निपटने से पहले ही सबूजकली सेन सेवानिवृत्त हो गई थीं। बाद में उन्होंने और सौगत चट्टोपाध्याय ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
न्यायमूॢर्ती अरिजीत बनर्जी ने अपीलकर्ताओं और प्रतिवादियों, दोनों को हलफनामे के रूप में अपनी बात प्रस्तुत करने का आदेश दिया। मामले पर सुनवाई करते हुए अदालत ने विश्वभारती प्रबंधन को सबूजकली सेन और सौगत चट्टोपाध्याय के सेवाकाल के दौरान उनकी समस्त बकाया राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया है। मामले पर अगली सुनवाई एक महीने बाद होगी।
इस बीच सौगत चक्रवर्ती द्वारा लिखी पुस्तक 'सुभाष चंद्र बोस एंड मिडिल क्लास रेडिकलिज्मÓ विवादों में घिर गई है। इस पुस्तक को 31 साल पहले लंदन के एक प्रकाशक ने पहली बार प्रकाशित किया था। पुस्तक में उन्होंने एनसी चौधरी नामक शख्स के हवाले से लिखा था कि बोस एक समय अभिमानी व्यक्तित्व में बदल गए थे।