Kolkata Durga Visarjan in Ganga: गंगा प्रदूषण रोकने को कोलकाता में अभिनव मुहिम
हर साल दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन से गंगा में काफी प्रदूषण फैलता। इस साल त्रिधारा सम्मिलिनी समेत कुछ पूजा आयोजकों ने पंडाल के पास ही कृत्रिम जलाशय का निर्माण कर उसमें प्रतिमाएं विसर्जित की थी। कोलकाता नगर निगम अब गंगा प्रदूषण रोकने के लिए उसी मॉडल को अपनाना चाहता है।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। Kolkata Durga Visarjan in Ganga: गंगा प्रदूषण रोकने को कोलकाता में अभिनव मुहिम शुरू की जाएगी। अगले साल से दुर्गा प्रतिमाओं को गंगा घाटों में नहीं बल्कि पूजा पंडालों के पास कृत्रिम जलाशय तैयार कर विसर्जित किया जाएगा। कोलकाता नगर निगम ने यह अभूतपूर्व फैसला किया है।
गौरतलब है कि हर साल दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन से गंगा में काफी प्रदूषण फैलता है। इस साल त्रिधारा सम्मिलिनी समेत कुछ पूजा आयोजकों ने पंडाल के पास ही कृत्रिम जलाशय का निर्माण कर उसमें प्रतिमाएं विसर्जित की थी। कोलकाता नगर निगम अब गंगा प्रदूषण रोकने के लिए उसी मॉडल को अपनाना चाहता है।
राज्य के शहरी विकास मंत्री एवं कोलकाता नगर निगम के प्रशासक फिरहाद हकीम ने बताया-'निगम की प्रशासक मंडली की बैठक में काफी विचार-विमर्श करने के बाद यह निर्णय लिया गया है। हम आगे विशेषज्ञों के साथ भी इसे लेकर बातचीत करेंगे और उसके अनुसार आगे बढ़ेंगे।"
फिरहाद ने आगे कहा-'राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के निर्देश का पालन करने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है ताकि गंगा में तेजी से बढ़ता प्रदूषण कम कर उसे निर्मल किया जा सके। प्राप्त जानकारी के मुताबिक दुर्गा प्रतिमाओं को कृत्रिम जलाशयों में विसर्जित करने से पहले उनपर पानी की पाइप से तेज बौछार की जाएगी। इससे प्रतिमाएं थोड़ी गल जाएंगी और उनपर चढ़ा रंग व केमिकल उतर जाएगा और उनका वजन भी हल्का हो जाएगा। इसके बाद कृत्रिम जलाशयों में उन्हें विसर्जित कर दिया जाएगा। विसर्जन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद कोलकाता नगर निगम के कर्मचारी प्रतिमा के ढांचे को उठाकर अपने साथ ले जाएंगे।
गौरतलब है कि एनजीटी ने गंगा प्रदूषण रोकने के लिए कड़े कदम उठाने को कहा है। दूसरी तरफ जानकारों का कहना है कि कोलकाता नगर निगम के लिए मयह इतना आसान नहीं होगा क्योंकि पूजा पंडालों के पास कृत्रिम जलाशयों का निर्माण करने के लिए काफी जगह चाहिए और कोलकाता में सब जगह इतनी जगह उपलब्ध नहीं है। बड़े मैदानों में ही ऐसा किया जा सकता है इसलिए कुछेक पूजा पंडालों के मामले में ही इसे लागू किया जा सकेगा।