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India China Border Tension: ममता ने चीन मुद्दे पर पार्टी नेताओं को बयान न देने की दी हिदायत

बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने भारत व चीन के बीच जारी तनाव के मद्देनजर इस मुद्दे पर अपने पार्टी नेताओं को मीडिया में बयान न देने की हिदायत दी है।

By Vijay KumarEdited By: Published: Sat, 04 Jul 2020 08:05 PM (IST)Updated: Sat, 04 Jul 2020 10:00 PM (IST)
India China Border Tension: ममता ने चीन मुद्दे पर पार्टी नेताओं को बयान न देने की दी हिदायत
India China Border Tension: ममता ने चीन मुद्दे पर पार्टी नेताओं को बयान न देने की दी हिदायत

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने भारत व चीन के बीच जारी तनाव के मद्देनजर इस मुद्दे पर अपने पार्टी नेताओं को मीडिया में बयान न देने की हिदायत दी है। एक दिन पहले शुक्रवार को अपने पार्टी नेताओं के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए वर्चुअल बैठक के दौरान ममता ने इसको लेकर सतर्क किया। सूत्रों के अनुसार, बैठक के दौरान ममता ने स्पष्ट किया कि भारत- चीन संबंधों पर जो कुछ भी कहना है, मीडिया के सामने वह खुद कहेंगी। 

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उल्लेखनीय है कि टिकटॉक पर पाबंदी लगाए जाने पर तृणमूल सांसद नुसरत जहां ने मीडिया के सामने बयान दिया था। इसके बाद वह भाजपा के निशाने पर आ गई थीं। लिहाजा मुख्यमंत्री ने इस संबंध में पार्टी के नेताओं को सतर्क किया है। ममता इस समय नहीं चाहतीं कि इतने गंभीर मुद्दे पर पार्टी के नेता ऐसे बयान दें, जिससे भाजपा को कोई मुद्दा मिल जाए। इससे पहले पीएम द्वारा लद्दाख की घटना के बाद बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के दौरान भी ममता ने इस मुद्दे पर केंद्र को अपना पूरा समर्थन देने की घोषणा की थी।

लॉकडाउन से बसों के टिकटों की छपाई के कारोबार पर भी भारी असर   

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : लॉकडाउन से न सिर्फ निजी बस सेवा बल्कि उनके टिकटों की छपाई के कारोबार पर भी भारी असर पड़ा है । एक प्रिंटिंग प्रेस के मालिक भास्कर माइती ने कहा कि उनका कारोबार लॉकडाउन के दौरान शून्य हो गया ।  जून की शुरुआत में निजी बस सेवा के फिर से शुरू होने के बाद भी कारोबार नहीं बढ़ा है। बहुत सी बसें अभी भी सड़कों पर वापस नहीं आई हैं। उन्होंने आगे कहा कि एक लाख टिकटों का एक सेट 1,500 रुपये में बेचा जाता है। औसतन एक प्रिंटिंग प्रेस में महीने में लगभग 25 से 26 लाख टिकटों की छपाई होती है, जो लगभग 250 बसों की जरूरतों को पूरा करती है। 

एक अन्य प्रिंटिंग प्रेस के मालिक अरुणेश बोस ने कहा कि वे कोरोना के प्रकोप से पहले हर महीने लगभग 40,000 रुपये के टिकट बेचा करते थे, जिसका औसत लाभ लगभग 15,000 रुपये था। उनके प्रेस में पिछले महीने दो से तीन लाख टिकट ही छापे गए हैं ।  बोस ने हालांकि उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में व्यापार बेहतर होगा क्योंकि निजी बसें शहर और जिलों में सड़कों पर वापस आ जाएंगी।


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