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आइआइटी खडग़पुर के स्कॉलर को छह साल के संघर्ष के बाद मिली पीएचडी डिग्री

आइआइटी खडग़पुर के स्कॉलर महेश शिरोले का छह साल का संघर्ष रंग लाया है। उन्हें उनके डॉक्टरेट थीसिस के लिए अंतत पीएचडी डिग्री प्रदान की गई है। शिरोले की थीसिस को नकार दिया गया था जिसे मान्यता दिलाने के लिए वे जनवरी 2015 से संघर्ष करते आ रहे थे।

By Vijay KumarEdited By: Published: Mon, 01 Mar 2021 07:44 PM (IST)Updated: Mon, 01 Mar 2021 07:44 PM (IST)
आइआइटी खडग़पुर के स्कॉलर को छह साल के संघर्ष के बाद मिली पीएचडी डिग्री
आइआइटी खडग़पुर के स्कॉलर महेश शिरोले का छह साल का संघर्ष रंग लाया है।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : आइआइटी खडग़पुर के स्कॉलर महेश शिरोले का छह साल का संघर्ष रंग लाया है। उन्हें उनके डॉक्टरेट थीसिस के लिए अंतत: पीएचडी डिग्री प्रदान की गई है। शिरोले की थीसिस को नकार दिया गया था, जिसे मान्यता दिलाने के लिए वे जनवरी, 2015 से संघर्ष करते आ रहे थे। शिरोले और प्रोफेसर राजीव कुमार ने इस बाबत राष्ट्रपति कार्यालय तक में गुहार लगाई थी। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर एवं शिरोले के सुपरवाइजर राजीव कुमार ने कहा-'मुझे खुशी है कि महेश शिरोले ने आइआइटी खडग़पुर और शिक्षा मंत्रालय के साथ छह साल की लड़ाई के बाद पीएचडी की डिग्री प्राप्त की है।

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कभी-कभी देर से मिलना कभी नहीं मिलने से बेहतर होता है। शिरोले को आइआइटी खडग़पुर के 66वें दीक्षा समारोह में पीएचडी डिग्री से सम्मानित किया गया था, जिसका पिछले सप्ताह आयोजन किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दीक्षा समारोह में वर्चुअली मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे। शिरोले ने 2014 में पीएचडी के लिए अपनी थीसिस जमा की थी, जिसे एक भारतीय परीक्षक ने स्वीकार किया था लेकिन एक प्रवासी भारतीय (एनआरआइ) परीक्षक ने अस्वीकार कर दिया था।

निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार इसे तीसरे परीक्षक को कभी नहीं भेजा गया था। इसके बजाय थीसिस को संशोधित करने का निर्देश दिया जाता रहा और इसे उसी एनआरआइ परीक्षक के पास तीन बार भेजा गया था, जिन्होंने हर बार कोई न कोई कारण बताकर इसे खारिज कर दिया था। गौरतलब है कि आइआइटी खडग़पुर ने मई, 2011 में राजीव कुमार को कदाचार के आरोप में निलंबित कर दिया था।


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