West Bengal : ‘हाइडेटिड सिस्ट’ मरीज स्वस्थ होकर लौटा घर, जानें क्या होता है ये कीड़े वाला ट्यूमर
‘हाइडेटिड सिस्ट’ एक विशेष प्रकार के कीड़े का अंडा होता है जिस पर कवच चढ़ा होता है यह अंडा शरीर के जिस अंग में पहुंचता वहां धीरे-धीरे आकार में बड़ा होना शुरू हो जाता। ऐसे सिस्ट शरीर के अंदर सबसे ज्यादा फेफड़े में पाए जाते हैं या फिर लिवर में।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। अक्सर आपने सुना होगा कि किसी को बुरी तरह खांसी आती थी। इसके साथ छाती में दर्द होता था व खांसी में खून भी आता था। किसी डॉक्टर की सलाह पर छाती का एक्सरे करवाया तो फेफड़े में सिस्ट यानी कीड़े वाला ट्यूमर पाया गया।
शरीर के अंदर पाई जाने वाली सिस्ट को मेडिकल भाषा में, ‘हाइडेटिड सिस्ट’ के नाम से जाना जाता है। यह सिस्ट एक विशेष प्रकार के कीड़े का अंडा होता है, जिस पर कवच चढ़ा होता है और यह अंडा शरीर के जिस भी अंग में पहुंचता है, वहां धीरे-धीरे आकार में बड़ा होना शुरू हो जाता है। ऐसे सिस्ट शरीर के अंदर सबसे ज्यादा फेफड़े में पाए जाते हैं या फिर लिवर में। ऐसा सिस्ट मानव शरीर के अन्य अंगों में भी पाया जा सकता है। जैसे दिमाग, दिल, हाथ व पैर की मांसपेशियों आदि में।
एक सामान्य बीमारी बनती जा रही है हाइडेटिड सिस्ट
हाइडेटिड सिस्ट एक सामान्य बीमारी बनती जा रही है, किंतु इस बीमारी से लड़ने वाले लोगों की कभी हार नहीं होती है। इसी प्रकार मुर्शिदाबाद के अरूप बनर्जी (बदला नाम) पिछले कई सालों से स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे थें। 20 वर्षीय अरूप बनर्जी की पांच साल पहले इसी तरह की व्यापक सिस्टिक बीमारी के कारण लंबे समय तक चिकित्सा उपचार के बाद सर्जरी की गई थी।
हालांकि उनकी सर्जरी सफल नहीं हुई, सिस्ट वापस लौट आया कहीं अधिक व्यापक और आक्रामक रूप के साथ। इस बीच उनको लगातार पेट में दर्द और अपच होने की शिकायत बनी रहती थी। सिस्ट को नियंत्रित करने के लिए जो दवाएं दी गई थीं, दवाएं काम करना बंद कर दिया था।
परजीवी सिस्ट जिसे हाइडैटिड सिस्ट भी कहा जाता है, सचमुच कैंसर जैसे उसके पेट के अंगों को खा रहा था। इसके बाद उन्हें कोलकाता के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। उनका इलाज जब शुरू किया गया तो उनके पेट में हाइडेटिड सिस्ट होने की जानकारी मिली।
शरीर के विभिन्न अंगों में फैल चुका था हाइडेटिड सिस्ट
हाइडेटिड सिस्ट उनकी यकृत, प्लीहा, पेरिटोनियम, अग्न्याशय, ओमेंन्टम, मेसेंट्री, मूत्राशय समेत अन्य जगहों पर भी फ़ैल चुका था। उनका इलाज आमरी अस्पताल मुकुंदपुर के गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जन, उन्नत लैप्रोस्कोपी और जीआई ऑन्को सर्जरी में विशेषज्ञ डॉक्टर संजय मंडल ने किया। डॉक्टर मंडल ने क़रीब 6 घंटों तक उनका ऑपरेशन किया जिसमें हजारों सिस्ट (अल्सर) को निकाल दिया गया। विशेष तकनीक की मदद से ऑपरेशन किया गया ताकि रोगी को कोई नुकसान न हो। रोगी अब सिस्ट मुक्त है, लेकिन निरंतर दवा की आवश्यकता होगी। डॉक्टर मंडल ने कहा कि अगर सही समय पर श्री बनर्जी को इलाज के लिए हमारे पास नहीं लाया गया होता तो कुछ ही महीनों में उनकी मृत्यु हो जाती।