ममता बनर्जी की भाभी के पास करोड़ों की संपत्ति कैसे? हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर
कोलकाता के पुलिस आयुक्त के पास एक लिखित शिकायत भी दर्ज कराई। इस मामले की सुनवाई जल्द ही मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव की खंडपीठ में होने की संभावना है। तृणमूल ने कोलकाता नगर निगम के वार्ड 73 से काजरी बनर्जी को मैदान में उतारा है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता । बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की भाभी काजरी बनर्जी के पास करोड़ों की संपत्ति कैसे है? इसे लेकर अब हाइ कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। तृणमूल ने कोलकाता नगर निगम चुनाव में काजरी को मैदान में उतारा है। हलफनामे के मुताबिक काजरी ने अपने व अपने पति की कुल संपत्ति लगभग पांच करोड़ रुपये बताई हैं। इनमें चल व अचल दोनों तरह की संपत्ति शामिल हैं। काजरी दो करोड़ 45 लाख रुपये की संपत्ति की मालकिन हैं।
वादी वकील इम्तियाज अहमद का सवाल है कि सामाजिक कार्यकर्ता काजरी करोड़ों रुपये की संपत्ति की मालकिन कैसे बन गईं, जबकि वह सामान्य सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वादी ने उनकी संपत्ति का स्रोत जानने की मांग को लेकर हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है। उन्होंने बताया कि मामले को अदालत ने स्वीकार कर लिया है। उन्होंने सीबीआइ जांच की भी गुहार लगाई है।
उन्होंने कोलकाता के पुलिस आयुक्त के पास एक लिखित शिकायत भी दर्ज कराई। इस मामले की सुनवाई जल्द ही मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव की खंडपीठ में होने की संभावना है। तृणमूल ने कोलकाता नगर निगम के वार्ड 73 से काजरी बनर्जी को मैदान में उतारा है। वित्त वर्ष 2020-21 के आयकर रिटर्न में काजरी ने अपनी वार्षिक आय 25 लाख 71 हजार 710 रुपये बताई हैं। काजरी ने हलफनामे में कोलकाता के कालीघाट इलाके में अपने कई भूखंड होने का भी जिक्र किया है। काजरी के पति की सालाना आमदनी 17 लाख 87 हजार 570 रुपये दिखाई गई है। उनके पति के नाम ओडि़शा के पुरी में भूखंड है। हलफनामे में काजरी ने अपना व अपने पति का परिचय सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में दिया है।
विरोधी दल भी उठा रहे हैं सवाल
-ममता के भैया-भाभी की इतनी संपत्ति होने पर विरोधी दल सवाल उठा रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी से लेकर माकपा नेता सुजन चक्रवर्ती काजरी की संपत्ति को लेकर सवाल उठा चुके हैं। मुख्यमंत्री के भाई कार्तिक बनर्जी ने कहा कि उन्होंने अपने हलफनामे में सच्चाई बताई है। बताते चले कि काजरी को टिकट देने को लेकर पार्टी का असंतोष जमीनी स्तर पर भी देखने को मिला था। वार्ड 73 के तीन बार पार्षद रहे रतन मालाकार को इस बार टिकट नहीं मिला। इससे निवर्तमान पार्षद नाराज थे। उन्होंने निर्दलीय के रूप में लडऩे का फैसला किया था। हालांकि, बाद में उन्होंने अभिषेक की मध्यस्थता के जरिए अपना नामांकन वापस ले लिया।