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West Bengal Violence Hearing: एनएचआरसी टीम ने कलकत्ता हाई कोर्ट को सीलबंद लिफाफे में सौंपी हिंसा की रिपोर्ट, 2 जुलाई को होगी सुनवाई

West Bengal Violence Hearing बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट में आज रिपोर्ट पूरी तरह से सीलबंद लिफाफे में सौंपी गई है। इस रिपोर्ट में क्या है फिलहाल इसका खुलासा नहीं हुआ है। इसकी सुनवाई अब 2 जुलाई को होगी।

By Priti JhaEdited By: Published: Wed, 30 Jun 2021 11:32 AM (IST)Updated: Wed, 30 Jun 2021 02:29 PM (IST)
West Bengal Violence Hearing: एनएचआरसी टीम ने कलकत्ता हाई कोर्ट को सीलबंद लिफाफे में सौंपी हिंसा की रिपोर्ट, 2 जुलाई को होगी सुनवाई
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राज्य ब्यूरो, कोलकाता। West Bengal Violence Hearing: बंगाल में चुनाव के बाद हिंसा के दौरान कथित मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच के लिए गठित राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की टीम ने विभिन्न इलाकों का दौरा कर अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट बुधवार को कलकत्ता हाई कोर्ट को सौंप दी। जानकारी के अनुसार, रिपोर्ट पूरी तरह से सीलबंद लिफाफे में सौंपी गई है। आज इस मामले में हाई कोर्ट के पांच जजों की पीठ में सुनवाई भी हो रही है। इस रिपोर्ट में क्या है, फिलहाल इसका खुलासा नहीं हुआ है। इसकी सुनवाई अब 2 जुलाई को होगी।

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बता दें कि एक दिन पहले कोलकाता के जादवपुर इलाके में आयोग की टीम के दौरे के दौरान उन पर हमले का भी मामला सामने आया था। उसके बाद भाजपा ने ममता सरकार पर हमला बोला था। बुधवार को राष्ट्रीय मावनाधिकार आयोग के वकील ने चुनाव के बाद की हिंसा पर अदालत को एक संक्षिप्त रिपोर्ट सौंपी। उनके वकील ने कहा कि 24 सदस्यीय दल कोलकाता आए थे। अलग-अलग प्रतिनिधि अलग-अलग जगहों पर जाकर स्थिति का जायजा लिया। उनसे मिली जानकारी के आधार पर संक्षिप्त रिपोर्ट जमा दी गई है।

इधर, सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने अदालत को सूचित किया कि उसने आयोग के प्रतिनिधियों को दौरे के दौरान सभी सुविधाएं दी थीं, जबकि याचिकाकर्ता की वकील प्रियंका टिबेड़ेबाल ने जिक्र किया कि हाई कोर्ट के निर्देशानुसार राज्य को हरसंभव मदद करनी चाहिए, लेकिन इनमें से कुछ सदस्यों पर मंगलवार को जादवपुर में हमला किया गया था।

हालांकि राज्य सरकार ने इसे केवल मीडिया रिपोर्ट करार देते हुए कहा कि कृपया इस रिपोर्ट के आधार पर कुछ न कहें। वहीं, वरिष्ठ वकील विकास रंजन भट्टाचार्य ने रिपोर्ट की प्रति अदालत से मांगी, तो कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल ने कहा कि मुहरबंद प्रति है। विशिष्ट मुद्दे हैं इसलिए किसी को नहीं दी जाएगी। बता दें कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा गठित टीम ने राज्य के विभिन्न जिलों में हिंसा प्रभावित अलग-अलग इलाकों का दौरा किया है। पिछले गुरुवार से ही अलग-अलग टीमें दौरा कर रही थी और मंगलवार को यह समाप्त हुआ है।

हाई कोर्ट ने दिया था जांच का निर्देश, आयोग ने गठित की थी कमेटी

बता दें कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बंगाल में विधानसभा चुनाव बाद हिंसा की घटनाओं में मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को सौंपने संबंधी आदेश 21 जून को वापस लेने से इन्कार करते हुए इस बारे में राज्य सरकार का आवेदन खारिज कर दिया था। अदालत ने मानवाधिकार आयोग को एक समिति गठित कर राज्य में चुनाव बाद हिंसा के दौरान कथित मानवाधिकार उल्लंघनों की घटनाओं की जांच करने का आदेश दिया था। इसके बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष अरुण मिश्रा ने हिंसा की जांच के लिए समिति गठित की थी। जनहित याचिकाओं में आरोप लगाया गया था कि राजनीतिक हमलों की वजह से लोगों को अपने घरों से विस्थापित होना पड़ा, उनके साथ मारपीट की गई, संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया और कार्यालयों में लूटपाट की गई थी।‌


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