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बंगाल में चुनाव बाद हिंसा की जांच एनएचआरसी को सौंपा जाना राज्य सरकार के मुंह पर तमाचा : भाजपा

प्रदेश भाजपा ने कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा की जांच का जिम्मा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को सौंपे जाने के फैसले का स्वागत करते हुए इसे राज्य सरकार के मुंह पर तमाचा करार दिया है।

By Vijay KumarEdited By: Published: Sat, 19 Jun 2021 09:23 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jun 2021 09:23 PM (IST)
बंगाल में चुनाव बाद हिंसा की जांच एनएचआरसी को सौंपा जाना राज्य सरकार के मुंह पर तमाचा : भाजपा
प्रदेश भाजपा ने कहा- हाई कोर्ट को अब स्थानीय पुलिस पर भी भरोसा नहीं

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : प्रदेश भाजपा ने कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा की जांच का जिम्मा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को सौंपे जाने के फैसले का स्वागत करते हुए इसे राज्य सरकार के मुंह पर तमाचा करार दिया है। एक दिन पहले हाई कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने राज्य सरकार की भूमिका पर सवाल उठाते हुए एनएचआरसी को एक समिति गठित कर इसकी जांच करने का निर्देश दिया है।

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प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष जयप्रकाश मजूमदार ने शनिवार को जागरण के साथ बातचीत में बताया कि हाई कोर्ट के इस निर्देश से साबित हो गया कि राज्य सरकार जो दावा कर रही है कि प्रदेश में हिंसा की कोई घटना नहीं हुई, वह पूरी तरह झूठ है। साथ ही यह भी साबित हो गया कि चुनाव के बाद राज्य में किस तरह हिंसा की घटनाएं हुई है। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट के निर्देश ने सच्चाई को सामने ला दिया है और इससे यह भी प्रमाणित हो गया है कि भाजपा का दावा सच है। मजूमदार ने आगे कहा- 'एक और बड़ी बात यह है कि हाई कोर्ट ने पुलिस पर भरोसा नहीं करके राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को जांच की जिम्मेदारी दी है।

इसका मतलब यह है कि हाई कोर्ट को अब स्थानीय पुलिस पर भी भरोसा नहीं है।' उन्होंने कहा कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हुआ, लेकिन बंगाल को छोड़कर किसी भी राज्य में इस तरह हिंसा की घटना नहीं हुई। किसी आदमी को अपनी जान नहीं गवानी पड़ी। किसी मां का कोख खाली नहीं हुआ। लेकिन, बंगाल में जो हिंसा का तांडव चला वह पूरी दुनिया के सामने हैं। उन्होंने कहा कि बंगाल सरकार के मुताबिक हिंसा में कम से कम 26 लोगों की मौत हुई। मजूमदार ने दावा किया कि लगभग 40,000 लोगों को बेघर कर दिया गया।‌ उन्होंने इस बात पर आश्चर्य जताया कि हजारों लोग जो बेघर हुए हैं वह बंगाल के ही सपूत हैं, लेकिन दुर्भाग्यवश उनको अपने घर लौटने के लिए तृणमूल नेताओं के सामने मुचलका (बांड) भरना व जुर्माना देना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि किसी भी सभ्य समाज में ऐसा नहीं होता है, जहां कानून का शासन है।

हाई कोर्ट ने की है तल्ख टिप्पणी

बताते चलें कि पहले तो राज्य सरकार लगे आरोपों को मान ही नहीं रही, लेकिन हमारे पास कई घटनाओं की जानकारी और सबूत हैं। इस तरह के आरोपों को लेकर राज्य सरकार चुप नहीं रह सकती। हाई कोर्ट ने शुक्रवार को यह टिप्पणी करते हुए बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा पर राज्य सरकार की भूमिका पर सवाल उठाया है। अदालत ने इन हिंसा की जांच के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को एक समिति गठित करने का निर्देश दिया है। साथ ही राज्य सरकार को उस समिति का सहयोग करने को कहा है।


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