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बना इतिहास- ममता बनर्जी समेत तीन नवनिर्वाचित विधायकों को राज्यपाल ने दिलाई विधायक पद की शपथ

बंगाल के इतिहास में पहली बार नवनिर्वाचित विधायकों को खुद राज्यपाल दिलाएंशपथ। धनखड़ पहले राज्यपाल होंगे जो विधानसभा में जाकर ममता बनर्जी समेत तीन नवनिर्वाचित विधायकों को राज्यपाल ने दिलाई विधायक पद की शपथ।विधानसभा सचिवालय ने राज्यपाल को पत्र लिखकर यह शक्ति फिर से बहाल करने की मांग की थी।

By Priti JhaEdited By: Published: Thu, 07 Oct 2021 08:46 AM (IST)Updated: Thu, 07 Oct 2021 06:23 PM (IST)
बना इतिहास- ममता बनर्जी समेत तीन नवनिर्वाचित विधायकों को राज्यपाल ने दिलाई विधायक पद की शपथ
राज्यपाल ने ममता को दिलाई विधायक पद की शपथ

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : भवानीपुर उपचुनाव में रिकार्ड वोटों से जीत के बाद बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को विधायक पद की शपथ लीं।ममता के अलावा जंगीपुर व शमशेरगंज विधानसभा सीट पर जीत दर्ज करने वाले जाकिर हुसैन और अमिरुल इस्लाम ने भी इस दिन शपथ ली। राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने खुद ममता समेत तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के तीनों नवनिर्वाचित विधायकों को विधानसभा में आयोजित एक कार्यक्रम में पद व गोपनीयता की शपथ दिलाईं। ममता ने पारंपरिक रूप से बांग्ला में ही शपथ लीं।

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वहीं, बंगाल के इतिहास में यह पहली बार है जब नवनिर्वाचित विधायकों को खुद राज्यपाल ने शपथ दिलाई है। आमतौर पर विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष शपथ दिलाते रहे हैं। लेकिन राज्‍यपाल धनखड़ ने हाल में बंगाल विधानसभा के स्‍पीकर बिमान बनर्जी से विधायकों को शपथ दिलाने का अधिकार वापस ले लिया है। जानकारी के मुताबिक, ऐसा पहली बार है जब राज्यपाल ने इस तरह का कदम उठाया है। राज्यपाल के इस कदम के बाद विधानसभा अध्यक्ष एवं राज्य सरकार के साथ उनका टकराव भी बढ़ गया था।विधानसभा सचिवालय ने राज्यपाल को पत्र लिखकर यह शक्ति फिर से बहाल करने की मांग की थी। लेकिन राज्यपाल ने खुद ही शपथ दिलाने का फैसला किया।

विधानसभा अध्यक्ष ने लगाया था राज्यपाल पर हस्तक्षेप का आरोप

बता दें कि जुलाई 2019 में बंगाल के राज्यपाल के रूप में पदभार संभालने के बाद से ही ममता सरकार और धनखड़ के बीच संबंध अच्छे नहीं रहे हैं। पिछले दिनों भाजपा छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए मुकुल राय को लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति को लेकर विधानसभा अध्यक्ष के साथ राज्यपाल का विवाद हुआ था।‌ इस घटना के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने हाल में विधानसभा अध्यक्षों के सम्मेलन में राज्यपाल धनखड़ पर उनके कामकाज में हस्तक्षेप का भी आरोप लगाया था। इससे पहले उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर भी राज्यपाल की शिकायत की थी। इसके साथ ही विधानसभा से पारित कई बिलों को भी लटकाने को लेकर राज्यपाल पर आरोप लगाते रहे हैं। ‌

चुनाव नतीजे से कुछ दिन पहले ही विधानसभा अध्यक्ष से शपथ दिलाने का अधिकार वापस लिया

इन सबके बीच कोलकाता के भवानीपुर और मुर्शिदाबाद जिले की दो सीटों पर तीन अक्टूबर को आए विधानसभा चुनाव के नतीजे से कुछ दिन पहले राजभवन से एक नोट विधानसभा सचिवालय में पहुंचा, जिसमें कहा गया कि वह विधानसभा स्पीकर से शपथ दिलाने का अधिकार वापस ले रहे हैं।पत्र में संविधान की धारा 188 का हवाला दिया गया है, जो राज्यपाल को मंत्रियों और विधायकों को शपथ दिलाने का अधिकार देता है।‌ हालांकि परंपरा के अनुसार, राज्यपाल सिर्फ प्रोटेम स्पीकर और मंत्रियों को शपथ दिलाते हैं जबकि विधानसभा के सदस्यों को शपथ दिलाने का यह अधिकार स्पीकर को सौंप देते हैं। राज्यपाल के प्रतिनिधि के रूप में स्पीकर द्वारा विधायकों को शपथ दिलाई जाती है। लेकिन राज्यपाल ने स्पीकर से उस अधिकार को वापस ले लिया।

शपथ समारोह में भाजपा ने नहीं लिया हिस्सा

- इधर, ममता के शपथ ग्रहण समारोह से मुख्य विपक्षी भाजपा ने दूरी बनाए रखी। भाजपा के एक भी विधायक ने समारोह में हिस्सा नहीं लिया। दूसरी ओर, विधायक पद की शपथ लेने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी रजिस्टर पर हस्ताक्षर करना भूल गईं। राज्यपाल द्वारा टोकने के बाद मुख्यमंत्री ने हस्ताक्षर किया।


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