West Bengal: कुलपति की नियुक्ति को लेकर राजभवन व ममता सरकार फिर आमने-सामने
राजभवन और राज्य सचिवालय फिर टकराव की राह पर हैं। इस बार राज्यपाल ने बतौर कुलाधिपति रवींद्र भारती विश्वविद्यालय में की नई कुलपति की नियुक्ति कर दी। जबकि कुछ दिन पहले ही राज्यपाल को कुलाधिपति के पद से हटाने संबंधी बिल बंगाल विधानसभा मानसून सत्र में पारित हुआ है।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। राजभवन और राज्य सचिवालय फिर टकराव की राह पर हैं। इस बार मामला कुलपति की नियुक्ति का है। दरअसल राज्यपाल को बंगाल के समस्त सरकारी विश्वविद्यालयों (विवि) के कुलाधिपति के पद से हटाकर उनकी जगह मुख्यमंत्री को लाने संबंधी विधेयक विधानसभा के हालिया संपन्न मानसून सत्र में पारित हुआ है। इसके मुताबिक राज्यपाल किसी भी विवि में कुलपति की नियुक्ति नहीं कर पाएंगे। दूसरी तरफ राज्यपाल ने डा. महुआ मुखर्जी की रवींद्र भारती विवि की नई कुलपति के तौर पर नियुक्ति कर दी है। शिक्षा विभाग ने इसपर कड़ी आपत्ति जताई है।
जानकारों ने बताया राज्यपाल कर सकते नियुक्ति
हालांकि संविधान के जानकारों का कहना है कि राज्यपाल को हटाए जाने संबंधी विधेयक भले विधानसभा में पारित हो चुका हो लेकिन राज्यपाल ने अब तक इसपर हस्ताक्षर नहीं किए हैं और न ही इसे राष्ट्रपति से अनुमोदन प्राप्त हुआ है, इसलिए नियमों के मुताबिक राज्यपाल ही इस समय सरकारी विवि के कुलाधिपति हैं, सो उन्हें कुलपति की नियुक्ति करने का पूरा अधिकार है। राज्यपाल ने खुद ट्वीट कर नियुक्ति की जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि रवींद्र भारती अधिनियम की धारा 9(1) (बी) के तहत यह नियुक्ति की गई है। गत नौ जून को विवि की सर्च कमेटी की बैठक हुई थी, जिसमें कुलपति के पद के लिए तीन नाम प्रस्तावित किए गए थे। इनमें डा. महुआ मुखर्जी के अलावा कल्याणी विवि के गणित विभाग के प्रोफेसर संजीव कुमार दत्त एवं रवींद्र भारती विवि के अंग्रेजी विभाग के प्रोफेसर देवाशीष बंद्योपाध्याय शामिल थे। शिक्षा विभाग की तरफ से गत 24 जून को कुलाधिपति से कुलपति का चयन करने को कहा गया था। सर्च कमेटी की सिफारिश में जिसका नाम सबसे पहले था, उनका चयन किया गया है। डा. महुआ मुखर्जी इससे पहले रवींद्र भारती विवि के नृत्य विभाग के प्रोफेसर के पद पर थीं। गौरतलब है कि राज्यपाल को सरकारी विवि के कुलाधिपति व निजी विवि के विजिटर के पद से हटाने संबंधी बिलों को लेकर धनखड़ ने कहा था कि इन्हें राजभवन भेजे जाने पर वे संविधान व नियम-कानून के मुताबिक इनपर विचार करेंगे।