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28 वर्ष पुराने आदेश को लागू नहीं करने पर सरकार को फटकार

कलकत्ता हाईकोर्ट ने 28 साल पहले दिए एक आदेश को लागू करने में असफल रहने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार को फटकार लगाई है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 11 Jun 2018 09:22 AM (IST)Updated: Mon, 11 Jun 2018 04:31 PM (IST)
28 वर्ष पुराने आदेश को लागू नहीं करने पर सरकार को फटकार
28 वर्ष पुराने आदेश को लागू नहीं करने पर सरकार को फटकार

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। कलकत्ता हाईकोर्ट ने 28 साल पहले दिए एक आदेश को लागू करने में असफल रहने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार को फटकार लगाई है। उच्च न्यायालय ने 28 वर्ष पहले मामले की सुनवाई के बाद एक पुलिस कॉन्स्टेबल को उसकी सेवा का समस्त लाभ देने व नौकरी पर बहाल करने का आदेश दिया था। लेकिन कुछ कारणों से सरकार उस पर अमल नहीं कर सकी।

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उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने राज्य के महाधिवक्ता को गृह सचिव की उपस्थिति में इस मामले में संबंधित दस्तावेज पेश करने का निर्देश दिया है ताकि 13 अगस्त से जब यह मामला फिर सुनवाई के लिए आएगा तो उसकी प्रासंगिकता का पता चल सके। यह मामला एक पुलिस कांस्टेबल हसीबर रहमान के सेवानिवृत्त होने के बाद सभी लाभ पाने के अधिकार से जुड़ा है।

न्यायालय सूत्रों के मुताबिक रहमान को राज्य सशस्त्र पुलिस बल की 11 वीं बटालियन में कॉन्स्टेबल के पद पर जून 1 1981 को नियुक्त किया गया था। लेकिन एक पुराने लंबित मामले में कारण बताओ नोटिस के आधार पर अक्टूबर 1982 में उसकी नौकरी से छुट्टी कर दी गई। उक्त मामले में निर्दोष होने के बाद रहमान ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद नौकरी से छुट्टी को अलग रखते हुए राज्य सशस्त्र पुलिस बल को 31 मई 1990 में रहमान को सेवा में बहाल रखने तथा निलंबन के दिन से बहाली तक सेवा का सभी लाभ देने का निर्देश दिया। साथ ही कोर्ट ने आदेश जारी होने के चार सप्ताह के अंदर रहमान के बकाया वेतन का भुगतान करने का भी निर्देश दिया था।

न्यायमूर्ति देवाशीषकर गुप्ता और न्यायमूर्ति शंपा सरकार की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने पिछले सप्ताह इस मामले में सुनवाई के दौरान पाया कि रहमान को फरवरी 1991 सेवा में बहाल किया गया लेकिन उसका बकाया वेतन व सेवा में वरिष्ठता का अन्य कोई लाभ नहीं मिला। अदालत ने इस मामले में गृह सचिव को संबधित प्रमाणिक दस्तावेज के साथ 6 जून को उपस्थित होने के लिए कहा था। राज्य के महाधिवक्ता के साथ गृह सचिव 6 जून को हाईकोर्ट में उपस्थित हुए और मामला अधिक पुराना होने का हवाला देते हुए उन्होंने दस्तावेजों को तलाशने के लिए कुछ समय देने की अपील की। डिवीजन बेंच ने इस मामले में सरकार को 13 अगस्त तक प्रमाणिक दस्तावेज पेश करने के लिए समय दिया है।


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