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एक घंटे में पक जाती हैं 960 रोटियां, नि:शुल्क बांटी जा रही आटोमैटिक मशीन से तैयार रोटियां

ganga sagar, तीर्थयात्रा के दौरान भोजन में घर जैसी गरमागरम फूली हुईं रोटियां मिल जाए तो क्या कहना! ऐसी रोटी, जिसमें अपनेपन का अहसास हो।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 09 Jan 2019 10:39 AM (IST)Updated: Wed, 09 Jan 2019 10:39 AM (IST)
एक घंटे में पक जाती हैं 960 रोटियां, नि:शुल्क बांटी जा रही आटोमैटिक मशीन से तैयार रोटियां
एक घंटे में पक जाती हैं 960 रोटियां, नि:शुल्क बांटी जा रही आटोमैटिक मशीन से तैयार रोटियां

कोलकाता,विशाल श्रेष्ठ। तीर्थयात्रा के दौरान भोजन में घर जैसी गरमागरम फूली हुईं रोटियां मिल जाए तो क्या कहना! ऐसी रोटी, जिसमें अपनेपन का अहसास हो, जिसका स्वाद बिल्कुल अपना सा लगे। शिवोहम बालाजी सेवा ट्रस्ट आउट्राम घाट पर लगे गंगासागर तीर्थयात्री सेवा शिविर में ठहरे पुण्यार्थियों को ऐसी ही रोटियां नि:शुल्क परोस रहा है इसलिए इस प्रकल्प को भी 'अपनी रोटी' नाम दिया गया है। सेवा शिविर के गेट नंबर दो के पास सुबह सात बजे एक वैन आकर खड़ा हो जाता है, जिसमें लगी आटोमैटिक रोटी मेकिंग मशीन से शाम बजे तक गरम-गरम रोटियां तैयार कर लोगों में बांटी जाती हैं। 

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रोजाना 8,000 रोटियां बांटने का लक्ष्य

ट्रस्ट के पदाधिकारी विकास अग्रवाल ने बताया-'इस अत्याधुनिक मशीन की बदौलत एक घंटे में 960 रोटियां तैयार की जा सकती हैं। हम एक दिन में आठ घंटे सेवाएं प्रदान कर रहे हैं, यानी रोजाना करीब 8,000 रोटियां बांटने की योजना है। डीजल चालित इस मशीन को हर दो घंटे बाद आधा घंटा विश्राम देना पड़ता है, अन्यथा हम और भी रोटियां बांट पाते। नौ लाख रुपये की लागत वाली यह मशीन पूरी तरह हाइजीनिक है। खुद से आटा गूंथती है। लोई तैयार कर उसे काटती है। यह एक घंटे में 40 किलो आटा गूंथ लेती है। वैन में पांच लोगों की टीम सक्रिय है। फिलहाल हरेक व्यक्ति को दो रोटियां दी जा रही हैं। आने वाले दिनों में प्रति व्यक्ति रोटियों की संख्या बढ़ाई जाएगी।

 इसलिए शुरू किया प्रकल्प

37 वर्षीय विकास ने बताया-'मेरी मां कृष्णा देवी अग्रवाल के मार्गदर्शन में हमने इसी साल यह प्रकल्प शुरू किया है। हमलोगों ने गरीबी को बेहद करीब से देखा है। एक समय हमें एक वक्त का खाना भी नसीब नहीं हो पाता था इसलिए भूख क्या होती है, हम भली-भांति समझते हैं। हम चाहते हैं कि दुनिया में कोई भूखा न सोए। जब लोग हमारे यहां की गरम-गरम रोटियां खाते हैं तो तृप्ति हमें होती है।' विकास ने आगे कहा-'एक रोटी पकाने में दो रुपये की लागत आती है। रोजाना सिर्फ रोटियां तैयार करने का खर्च 17 से 18 हजार रुपये है। इस वैन को लेकर कुल 22 लाख रुपये की लागत आई है।

रोटियों के साथ अचार भी

प्रबंधन से जुड़े राहुल अग्रवाल ने बताया-'हम रोटियों के साथ अचार भी दे रहे हैं। जल्द ही बूंदिया का भी प्रबंध किया जाएगा। एक रोटी लगभग 25 ग्राम की है। इसे तैयार करने में उच्च गुणवत्तापूर्ण ताजा आटा का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे बड़ाबाजार से खरीदा जाता है। आटा गूंथने में इस्तेमाल किया जाने वाला जल भी विशुद्ध होता है।

यहां से काकद्वीप रवाना होगा वैन

विकास ने बताया-'हम आउट्राम घाट में 11 जनवरी तक सेवा प्रदान करेंगे। इसके बाद हमारा वैन काकद्वीप रवाना हो जाएगा। वहां हम बस स्टैंड के पास रोटियां बांटेंगे। गंगासागर मेले के बाद प्रयागराज में आयोजित होने वाले अ‌र्द्धकुंभ में सेवाएं प्रदान करने पर भी विचार कर रहे हैं। इसके अलावा विभिन्न धार्र्मिक स्थलों पर आयोजित होने वाले प्रमुख उत्सवों के समय वहां भी सेवाएं प्रदान करने की योजना है। 


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