रिटायर नौकरशाहों को फिर नियुक्त करने के लिए लेनी होगी सतर्कता आयोग की मंजूरी, अलापन की नियुक्ति के बाद लागू हुआ नया नियम
रिटायर यानी सेवानिवृत्त नौकरशाहों को किसी भी सरकारी कार्य के लिए फिर से नियुक्त करने पर अब से सतर्कता आयोग की मंजूरी लेनी होगी। जिस सरकारी नौकरशाह की फिर से नियुक्ति की जा रही है वह जिस विभाग या संस्थान में कार्य किए हैं
राज्य ब्यूरो, कोलकाताः रिटायर यानी सेवानिवृत्त नौकरशाहों को किसी भी सरकारी कार्य के लिए फिर से नियुक्त करने पर अब से सतर्कता आयोग की मंजूरी लेनी होगी। नौकरशाह जिस विभाग या संस्थान में कार्य किए हैं, वहां से विजिलेंस क्लीयरेंस मिलने के बाद ही उनकी पुनर्नियुक्ति हो सकेगी। गुरुवार को केंद्रीय सतर्कता आयोग ने इसे लेकर निर्देश जारी किया है।
आयोग का यह दिशानिर्देश केंद्र में अखिल भारतीय सेवा के सेवानिवृत्त ग्रुप ए अधिकारियों के लिए है। इसके अलावा केंद्र के नियंत्रण वाले अन्य किसी भी एजेंसी में काम करने वाले समान रैंक के अधिकारियों पर भी यही नियम लागू होगा। आयोग ने कहा कि ऐसे अधिकारियों को अनुबंध के आधार पर या सलाहकार के रूप में फिर से नियुक्त करने के लिए सतर्कता आयोग की मंजूरी आवश्यक होगी।
दरअसल, पिछले सोमवार को बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत्त होते ही अलापन बंद्योपाध्याय को फिर से अपना मुख्य सलाहकार नियुक्त कर दिया। संयोग से तीन दिन बाद ही केंद्रीय एजेंसी ने यह नए दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं। केंद्रीय सतर्कता आयोग ने कहा है कि मंजूरी के बिना किसी भी सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी को दोबारा नियुक्त नहीं किया जा सकता है। आयोग ने गाइडलाइन में कहा कि कई बार यह देखा गया है कि कई सरकारी एजेंसियां सेवानिवृत्त अधिकारियों को अनुबंध के आधार पर या सलाहकार के रूप में उनकी पेशेवर योग्यता का उपयोग करने के लिए भर्ती कर रही हैं।
इस संबंध में कई मामलों में पक्षपात के आरोप भी लगते हैं। जिन पर पूर्व में मुकदमा चल चुका है, ऐसे अधिकारियों के भी सरकारी पदों पर नियुक्तियों के रिकॉर्ड हैं। यह निर्णय अनावश्यक शिकायतों और जटिलताओं से बचने के लिए लिया गया है। इतना ही नहीं, आयोग ने कहा कि यदि किसी सेवानिवृत्त सरकारी नौकरशाह को किसी सरकारी या निजी पद पर नियुक्त करने का विचार है, तो वह अवसर किसी अन्य को भी क्यों नहीं दिया जा सकता है। हमें भर्ती में पारदर्शिता लानी होगी। उन्हें सरकारी विज्ञापन देना होगा। बाकी को पद के लिए आवेदन करने का अवसर देना होगा।
आयोग ने कहा कि सरकारी कामकाज में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए यह फैसला किया गया है। क्योंकि पहले भी कई बार ऐसी नियुक्तियों में पक्षपात के आरोप लग चुके हैं। गुरुवार को जारी दिशानिर्देशों के अनुसार, सरकारी अधिकारियों को सेवानिवृत्त होने से पहले जिस संस्थान के लिए उन्होंने काम किया, उससे मंजूरी लेनी होगी। उस स्थिति में यदि अधिकारी ने सेवानिवृत्त होने से पहले एक से अधिक संस्थानों के लिए काम किया है, तो उसे पिछले 10 वर्षों में जहां-जहां कार्य किया है, प्रत्येक से मंजूरी लेनी होगी।
आयोग ने कहा कि अगर संबंधित एजेंसियों से 15 दिनों के भीतर कोई जवाब नहीं मिलता है तो उन्हें एक बार फिर याद दिलाया जा सकता है। लेकिन पहला पत्र भेजने के 21 दिनों के भीतर अगर कोई जवाब नहीं मिलता है, तो यह माना जाएगा कि सेवानिवृत्त अधिकारी को सतर्कता मंजूरी नहीं दी गई है। आयोग ने कहा कि सतर्कता मंजूरी के लिए केंद्रीय सतर्कता आयोग को पत्र भेजा जा सकता है। सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारियों को नई नौकरी में शामिल होने से पहले इस शर्त को पूरा करना होगा।