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फिल्म निर्माता मृणाल सेन की फिल्मों की मूल पटकथा गुम हो गई: बेटे कुणाल सेन ने जताया अफसोस

मशहूर फिल्म निर्माता मृणाल सेन (Filmmaker Mrinal Sen) के बेटे कुणाल सेन (Kunal Sen) ने कहा- पिता द्वारा निर्देशित फिल्मों की कोई भी मूल पटकथा अब उपलब्ध नहीं है। कुणाल सेन ने पिता मृणाल सेन की 99वीं जयंती पर आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए ये बात कही।

By Babita KashyapEdited By: Published: Mon, 16 May 2022 11:31 AM (IST)Updated: Mon, 16 May 2022 11:33 AM (IST)
फिल्म निर्माता मृणाल सेन की फिल्मों की मूल पटकथा गुम हो गई: बेटे कुणाल सेन ने जताया अफसोस
मृणाल सेन के बेटे कुणाल सेन ने कहा बाबा द्वारा निर्देशित फिल्मों की कोई भी मूल पटकथा अब उपलब्ध नहीं

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। मशहूर फिल्म निर्माता मृणाल सेन के इकलौते बेटे कुणाल सेन ने इस बात पर अफसोस जताया है कि निर्देशक की फिल्मों की मूल पटकथा गुम हो गई है। उन्होंने कहा कि गुम हो गई इन पटकथा का उपयोग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त निर्देशक की अगले वर्ष उनकी जन्मशती से पहले रचनात्मक सोच प्रक्रिया का दस्तावेजीकरण करने के लिए किया जा सकता था। कुणाल सेन ने शनिवार को यहां सत्यजीत रे फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट (एसआरएफटीआइ) में पश्चिम बंगाल फिल्म पत्रकार संघ (डब्ल्यूबीएफजेए) द्वारा उनके पिता मृणाल सेन की 99वीं जयंती पर आयोजित एक समारोह को संबोधित किया, जिन्होंने सिनेमा में एक नये दौर की शुरुआत की थी। उन्होंने कहा, दुर्भाग्य से जहां तक मुझे पता है, बाबा द्वारा निर्देशित फिल्मों की कोई भी मूल पटकथा अब उपलब्ध नहीं है।

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ये पटकथा शायद 2003-04 में घर बदलने के दौरान खो गई होंगी। पिताजी में चीजों को व्यवस्थित रखने की प्रवृत्ति नहीं थी। उन्होंने कहा कि अन्य महान फिल्म निर्माता सत्यजीत रे के काम करने के तरीके के विपरीत, सेन की फिल्मों की शूटिंग जैसे-जैसे आगे बढ़ती और यहां तक की संपादन के दौरान भी उनकी मूल पटकथा में महत्वपूर्ण बदलाव हुए और इस वजह से परिणाम उनकी परिकल्पना से अलग होते थे। सेन ने कहा, मैं रे के गोपी जाने बाघा बायने के डिजिटलीकरण से जुड़ा था। जिस तरह से उन्होंने सब कुछ एक विस्तृत तरीके से रखा था और शूटिंग के दौरान उस पर टिके हुए थे, यह देखकर मैं चकित था।

बाबा की फिल्म निर्माण प्रक्रिया अधिक स्वाभाविक

दूसरी ओर, बाबा की फिल्म निर्माण प्रक्रिया अधिक स्वाभाविक होती और अंतिम समय में उसमें बदलाव की संभावना रहती। उन्होंने खेद जताया कि यदि मूल पटकथा उपलब्ध होतीं, तो निर्देशक की रचनात्मक सोच प्रक्रिया को अच्छी तरह से प्रलेखित किया जा सकता था। उन्होंने इस बात पर भी अफसोस जताया कि राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) द्वारा किए गए 17-18 फिल्मों को छोड़कर सेन की कई फिल्मों की प्रिंट को पूर्व रूप में नहीं किया जा सका। उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि आखिर एनएफडीसी की फिल्में कहां देखी जा सकती हैं।

सेन ने दावा किया, हालांकि वह उन लोगों को एनएफडीसी के बारे में बताते हैं जो निर्देशक की फिल्मों को निगम को दिखाना चाहते हैं, उनमें से ज्यादातर का कहना है कि एनएफडीसी ने उन्हें कोई जवाब नहीं दिया है। एनएफडीसी के एक अधिकारी ने कहा कि वे इस मामले को देखेंगे। दिग्गज फिल्म निर्माता की पसंदीदा अभिनेत्री ममता शंकर ने याद किया कि कैसे वह बेहद हिफाजत करते वाले, स्नेही और एक अभिभावक की तरह थे। मशहूर अभिनेत्री ने कहा कि वह सेन के निर्देशन में बनी खारिज (1980) को अपनी सर्वश्रेष्ठ फिल्म मानती हैं।


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