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मृणाल सेन कि आखिरी इच्छा थी उनके अंतिम संस्कार में फूल माला श्रद्धांजलि का आयोजन ना हो

प्रख्यात फिल्म निर्माता मृणाल सेन का अंतिम संस्कार आज किया जाएगा। उनके पार्थिव शरीर को पीस हेवन में रखा गया था।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 01 Jan 2019 12:48 PM (IST)Updated: Tue, 01 Jan 2019 12:48 PM (IST)
मृणाल सेन कि आखिरी इच्छा थी उनके अंतिम संस्कार में फूल माला श्रद्धांजलि का आयोजन ना हो
मृणाल सेन कि आखिरी इच्छा थी उनके अंतिम संस्कार में फूल माला श्रद्धांजलि का आयोजन ना हो

कोलकाता, जेएनएन। प्रख्यात फिल्म निर्माता मृणाल सेन का अंतिम संस्कार आज किया जाएगा।  उनके पार्थिव शरीर को पीस हेवन में रखा गया था। अमेरिका के शिकागो से उनके बेटे के लौटने का इंतजार किया जा रहा था जो मंगलवार सुबह कोलकाता पहुंच जाएंगे। उसके बाद दोपहर 2:30 बजे के करीब उनके पार्थिव शरीर को प्रिया सिनेमा के पास देश प्रिय पार्क से केवड़ातल्ला शमशान घाट के लिए ले जाया जाएगा।

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उनकी आखिरी इच्छा थी कि उनके अंतिम संस्कार में फूल माला श्रद्धांजलि जैसे कार्यक्रमों का आयोजन नहीं किया जाए इसलिए परिजनों की ओर से अनुरोध किया गया है कि जो लोग भी इच्छुक है देशप्रिय पार्क के पास से श्मशान घाट तक शव यात्रा के साथ जाना चाहते हैं वह आ सकते हैं लेकिन किसी तरह की कोई फूल माला या श्रद्धांजलि जैसे रिवाज का आयोजन नहीं किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि प्रख्यात फिल्म निर्माता मृणाल सेन का निधन रविवार सुबह कोलकाता के भवानीपुर स्थित उनके आवास पर हो गया था।  

उल्लेखनीय है कि प्रख्यात फिल्म निर्माता मृणाल सेन का निधन रविवार सुबह कोलकाता के भवानीपुर स्थित उनके आवास पर हो गया था। सुबह 10:30 बजे के करीब उन्होंने अंतिम सांस ली थी। उनकी उम्र 95 साल थी। लंबे समय से वे उम्र जनित बीमारियों से पीड़ित थे। अभिनय और फिल्म निर्माण के क्षेत्र में शानदार कार्यों की वजह से उन्हें पद्मभूषण और दादा साहब फाल्के जैसे सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया गया था। मृणाल सेन का जन्म 14 मई 1923 को बांग्लादेश के फरीदपुर में हुआ था। उच्च माध्यमिक परीक्षा पास करने के बाद वे कोलकाता आ गए थे। उन्होंने स्कॉटिश चर्च कॉलेज से फिजिक्स की पढ़ाई पूरी की थी। उसके बाद कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की डिग्री पूरी की थी। न केवल देश बल्कि वैश्विक स्तर पर भी शानदार फिल्म निर्माण के लिए वे चर्चित थे। 

भुवन शोम, कोरस, मृगया, अकाल संधान सहित 16 फिल्मों के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया था। कोलकाता 71, बाइसे श्रावण, एकदिन, प्रतिदिन पदातिक जैसी उन्होंने कई सदाबहार फिल्में बनाई है। 


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