सरकारी नौकरी का झांसा देकर हजारों लोगों को ठगने के आरोप में आठ गिरफ्तार
राज्य के कम से कम 3000 लोगों से करोड़ों रुपये की ठगी का आरोप प्रत्येक से नौकरी के नाम पर 55000 से एक लाख रुपये तक लिए। हजारों लोगों को सरकारी नौकरियां दिलाने का वादा करके उनसे ठगी करने के आरोप में आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल के पूर्व बर्द्धमान जिले से हजारों लोगों को सरकारी नौकरियां दिलाने का वादा करके उनसे ठगी करने के आरोप में आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने बुधवार को बताया कि राज्य के कम से कम 3,000 लोगों से करोड़ों रुपये ठगे गए। ‘फ्यूचर इंडिया’ नाम की कंपनी ने उम्मीदवारों को राजमार्गों की सुरक्षा के लिए सरकारी नौकरियां दिलाने का वादा करके प्रत्येक से 55,000 रुपये से एक लाख रुपये तक लिए।
उन्होंने बताया कि आरोपित उम्मीदवारों का भरोसा हासिल करने के लिए उन्हें सड़क सुरक्षा पर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के कथित हस्ताक्षर वाले कुछ दस्तावेज दिखा देते थे। उत्तर 24 परगना जिले में निमता पुलिस थाने इलाके के बिराति में स्थित कंपनी के मुख्यालय में सड़क सुरक्षा पर प्रशिक्षण भी दिया जाता था। सोमवार की रात को कंपनी के आठ अधिकारी संभाावित उम्मीदवारों से अनुबंध पर हस्ताक्षर कराने के लिए मेमारी पुलिस थाने के पालसित में एक रेस्त्रां में एकत्रित हुए।
पुलिस ने बताया कि इलाके में उनके होने की बात पता चलने पर हुगली और पश्चिम बर्द्धमान जिलों के पहले ठगे जा चुके लोग घटनास्थल पर पहुंच गए। झगड़ा बढ़ने पर पुलिस मौके पर पहुंची और कंपनी के अधिकारियों को गिरफ्तार किया। उन्होंने बताया कि आरोपितों के पास से एक कार, 1.10 लाख रुपये नकद, दो रजिस्टर, दो पेनड्राइव, सात मोबाइल फोन और ठगे गए लोगों की एक सूची बरामद की गई।
गिरफ्तार लोगों की पहचान मिहिर कुमार दास, अली हुसैन, हसीबुल रहमान, अबुल बासद, रियाजुल इस्लाम, इब्राहिम शेख, शम्शुल आलम शेख और मलय कर्मकार के रूप में हुई है। मलय हुगली जिले के सिंगुर का रहने वाला है जबकि बाकी आरोपित मुर्शिदाबाद जिले के अलग-अलग इलाकों के हैं। मंगलवार को अदालत में पेश करने पर मिहिर, मलय और अबुल को पांच दिन की पुलिस रिमांड में भेज दिया गया जबकि बाकी को न्यायिक हिरासत में भेजा गया। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत 11 जुलाई को मामले पर सुनवाई करेगी।
और लोगों के गिरोह से जुड़े होने का संदेह
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि और लोगों के इस गिरोह से जुड़े होने का संदेह है। पूरी प्रक्रिया को विश्वसनीय बनाने के लिए आरोपित उम्मीदवारों को भर्ती होने से पहले चिकित्सा जांच के लिए कोलकाता के एक निजी अस्पताल में भी लेकर जाते थे। इस बात की जांच की जा रही है कि क्या कोई प्रभावशाली व्यक्ति इस गिरोह से जुड़ा है।