Money Laundering Case: बंगाल मे जांच की आंच से सुलगती सियासत क्या गुल खिलाती है?
हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सीबीआइ जांच रोकने के लिए पहले तृणमूल ने सुप्रीम कोर्ट जाने के संकेत दिए थे लेकिन पांच जजों की पीठ के सर्वसम्मत फैसले ने संभवत चुनौती देने के इरादे पर पानी फेर दिया।
कोलकाता, जयकृष्ण वाजपेयी। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच की आंच से बंगाल में सियासत सुलगने लगी है। कलकत्ता हाई कोर्ट के निर्देश पर सीबीआइ ने विधानसभा चुनाव बाद हुई हिंसा की जांच तेज कर दी है। रविवार तक सीबीआइ 28 प्राथमिकी दर्ज कर चुकी थी और दो लोगों को गिरफ्तार भी किया है। जांच आगे बढ़ने से सियासत गर्म होने लगी है। इसकी बानगी शनिवार को नदिया जिले में दिखी, जहां जांच के लिए पहुंची सीबीआइ की टीम को तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं व समर्थकों के विरोध का सामना करना पड़ा।
यहां तक कि सीबीआइ टीम के वाहनों के पहियों की हवा तक निकाल दी गई। दूसरी ओर ईडी ने कोयला तस्करी से जुड़े धन शोधन मामले में पूछताछ के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी रूजिरा को तलब किया तो राजनीतिक तपिश और बढ़ गई। ईडी के समन से क्षुब्ध ममता ने केंद्र सरकार पर देश के संघीय ढांचे को तहस-नहस करने का आरोप लगा दिया। उन्होंने यह भी दावा किया कि भाजपा के कुछ मंत्रियों की कोयला माफियाओं से मिलीभगत है।
तृणमूल प्रमुख ने ‘केंद्र के अधिनायकवाद’ के खिलाफ लड़ने के लिए गैर-भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाने का भी प्रस्ताव रखा है। उन्होंने कहा, ‘केंद्र सरकार और भाजपा हमसे राजनीतिक तौर पर नहीं लड़ सकती। वह (भाजपा) विधानसभा चुनाव में हार गई थी और अब राजनीतिक बदले की भावना से केंद्रीय एजेंसियों का अभिषेक बनर्जी व हमारे अन्य नेताओं के खिलाफ इस्तेमाल कर रही है, लेकिन मैं उसे बता दूं कि वह हमें डरा-धमका नहीं सकती। हम उसके खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। यदि आप (भाजपा) हमें ईडी का डर दिखाते हैं तो हम एजेंसी को भाजपा नेताओं के खिलाफ भी सबूत भेजेंगे। भाजपा के मंत्रियों-नेताओं का एक धड़ा कोयला माफिया के साथ काम कर रहा है।’
वहीं अभिषेक बनर्जी ने कहा कि भाजपा और केंद्र को लगता है कि वे हमारे खिलाफ ईडी और सीबीआइ का उपयोग करके हम पर दबाव डाल सकते हैं, लेकिन हम मजबूत होकर उभरेंगे। हम नहीं डरते। उनसे राजनीतिक तरीके से लड़ेंगे। तृणमूल के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने आरोप लगाया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सभी मामलों को ईडी के माध्यम से निपटाने की योजना बनाई है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, ‘दिल्ली में एक गौरैया ने मुङो बताया कि सीबीआइ के नए प्रमुख ने कुछ शीर्ष अधिकारियों को शायद निर्देश दिया है कि वे बहुत ज्यादा बेशर्मी से काम न करें।’ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी भी अभिषेक को समन के मुद्दे पर तृणमूल में समर्थन में खड़े दिखे और उन्होंने कहा कि सीबीआइ और ईडी की विश्वसनीयता खत्म हो चुकी है। अदालत की निगरानी में जांच हो।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष का कहना है कि ममता से लेकर अभिषेक और तृणमूल के अन्य नेताओं का सीबीआइ और ईडी के खिलाफ मुखर होने से साफ हो गया है कि अभी से ही उन्होंने माहौल बनाने की कोशिश शुरू कर दी है। घोष ने ईडी के समन और उस पर ममता बनर्जी की प्रतिक्रिया पर कहा कि अभिषेक बनर्जी के आलीशान मकान की कीमत करीब 12 करोड़ रुपये है। उनके पास इतने रुपये कहां से आए? वहीं ब्रायन की टिप्पणी पर भाजपा की बंगाल इकाई के प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा, ‘डेरेक ओ ब्रायन सीबीआइ पर अनुचित आरोप लगा रहे हैं। ईडी काफी विश्वसनीय और स्वतंत्र निकाय है। तृणमूल को हर चीज में भाजपा का हाथ दिखता है।’
कोयला तस्करी मामले में इससे पहले जब सीबीआइ ने अभिषेक की पत्नी से पूछताछ की थी उस समय भी राजनीति हुई थी। ममता बनर्जी ने तो विधानसभा चुनाव में इसे मुद्दा बना दिया था। अब जबकि सीबीआइ ने जिस तरह से चुनाव बाद हिंसा मामले की जांच में ताबड़तोड़ प्राथमिकी दर्ज करते हुए गिरफ्तारियां शुरू की है तो ऐसे में तृणमूल नेता व कार्यकर्ता चिंतित हैं। हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सीबीआइ जांच रोकने के लिए पहले तृणमूल ने सुप्रीम कोर्ट जाने के संकेत दिए थे, लेकिन पांच जजों की पीठ के सर्वसम्मत फैसले ने संभवत: चुनौती देने के इरादे पर पानी फेर दिया। अब शायद इस मामले को सियासी तरीके से निपटाने की रणनीति है। ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि जांच की आंच से सुलगती सियासत क्या गुल खिलाती है?
[राज्य ब्यूरो प्रमुख, बंगाल]