कोरोना के बीच कोलकाता में खुले आसमान के नीचे पूर्व व पश्चिम नाटक मंडली आयोजित करेगी 'ज्वरासुर वध पाला' जात्रा
शुरुआत मास्क पहनकर अभिनय करते नजर आएंगे सभी कलाकार। सभी कलाकारों का कराया है कोरोना का बीमा। अपनी भंगिमाओं से अभिव्यक्ति लाने का भरसक प्रयास करेंगे कलाकार
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : देश की सांस्कृतिक राजधानी के तौर पर परिचित कोलकाता में कोरोना के बीच ही जात्रा (नाटक) की वापसी होने जा रही है। पूर्व व पश्चिम नामक नाटक मंडली 21 सितंबर को खुले आसमान के नीचे 'ज्वरासुर वध पाला' (ज्वरासुर के वध की बारी) नामक अपने नए जात्रा का मंचन करेगी। इस जात्रा की खास बात यह होगी कि इसके सभी कलाकार मास्क पहनकर अभिनय करते नजर आएंगे।
न्यू नॉर्मल में लौटने की दिशा में एक प्रयास
जात्रा के निर्देशक सौमित्र मित्रा ने बताया-'कोरोना महामारी के बीच न्यू नॉर्मल में लौटने की दिशा में हमारी तरफ से यह एक प्रयास है। सरकार की तरफ से जारी किए गए स्वास्थ्य संबंधी सभी दिशानिर्देशों का अक्षरशः पालन करते हुए जात्रा का आयोजन किया जाएगा।
शारीरिक दूरी के नियम का पूरा ध्यान रखेंगे
कलाकार न सिर्फ मास्क पहनकर अभिनय करेंगे बल्कि मंच पर भी वे अभिनय के दौरान शारीरिक दूरी के नियम का पूरा ध्यान रखेंगे, हालांकि इसका उनकी अदाकारी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।' वह अपनी भंगिमाओं से अभिव्यक्ति लाने का भरसक प्रयास करेंगे।
ईजेडसीसी के ऑडिटोरियम में रिहर्सल शुरू
मित्रा ने आगे कहा- पूरी की पूरी नाटक मंडली लंबे समय बाद इस जात्रा के आयोजन को लेकर काफी उत्साहित हैं। कलाकारों ने तो ईजेडसीसी के ऑडिटोरियम में रिहर्सल भी शुरू कर दिया है।
100 लोगों को देखने की अनुमति दी जाएगी
ईजेडसीसी की निदेशक गौरी बसु ने बताया-'कलाकारों को जल्दी मंच प्रदान करना जरूरी है इसलिए ऑडिटोरियम के मंच पर रिहर्सल करने की अनुमति दी गई है। जात्रा का मंचन हालांकि एक 21 सितंबर को खुले आसमान के नीचे होगा। जात्रा देखने के लिए 100 लोगों को ही अनुमति दी जाएगी।
मंडली कलाकारों की सुरक्षा का भी पूरा ध्यान
पूर्व पश्चिम नाटक मंडली कलाकारों की सुरक्षा का भी पूरा ध्यान रख रही है। नाटक मंडली की तरफ से सभी कलाकारों का कोरोना का बीमा कराया गया है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार 21 सितंबर से ओपन एयर थिएटर शुरू करने की अनुमति दे रही है।
ता ता थोई थोई' नामक एक और नाटक भी
ज्वरासुर वध पाला पौराणिक कथा पर आधारित जात्रा है। महानगर में उसी दिन' ता ता थोई थोई' नामक एक और नाटक का खुले आसमान के नीचे मंचन होगा।
गौरतलब है कि बंगाल में जात्रा काफी मशहूर है और लोग काफी दिलचस्पी से इसे देखने आते हैं।