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coal smuggling case:कोयला व्यवसायियों के ठिकानों से ईडी को मिले अहम तथ्य

पिछले दिनों प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से कोलकाता में की गई छापामारी के दौरान 12 कोयला व्यवसायियों के ठिकानों से अहम तथ्य मिले हैं। ईडी को पता चला है कि कैसे कोयला तस्करी का पैसा तृणमूल नेता विनय मिश्रा के पास आता था

By Vijay KumarEdited By: Published: Mon, 01 Mar 2021 08:00 PM (IST)Updated: Mon, 01 Mar 2021 08:00 PM (IST)
coal smuggling case:कोयला व्यवसायियों के ठिकानों से ईडी को मिले अहम तथ्य
ईडी को पता चला है कि कैसे कोयला तस्करी का पैसा प्रभावशाली लोगों तक पहुंचता था

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : पिछले दिनों प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से कोलकाता में की गई छापामारी के दौरान 12 कोयला व्यवसायियों के ठिकानों से अहम तथ्य मिले हैं। ईडी को पता चला है कि कैसे कोयला तस्करी का पैसा तृणमूल नेता विनय मिश्रा के पास आता था तथा उनके पास से किस तरह यह पैसा प्रभावशाली लोगों तक पहुंचता था। दूसरी ओर सोमवार को बंगाल के कोयला तस्करी मामले में मुख्य सरगना अनूप माजी उर्फ लाला की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 10 मार्च तक टल गई है। 

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अनूप ने राज्य सरकार की अनुमति के बिना सीबीआइ जांच पर सवाल उठाया है। राज्य सरकार ने भी माजी का समर्थन करते हुए सीबीआइ की तरफ से दर्ज एफआइआर निरस्त करने की मांग की है। आज सुप्रीम कोर्ट ने मामले के शिकायतकर्ता को भी पक्ष रखने की अनुमति दी। साथ ही, सीबीआइ को याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा। सोमवार को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की बेंच ने कहा कि वह सबसे पहले डिवीजन बेंच में हुई सुनवाई की वैधता पर विचार करेगी। यह देखा जाएगा कि क्या कलकत्ता हाई कोर्ट के नियम किसी आपराधिक मामले में सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ अपील डिवीजन बेंच में दाखिल किए जाने की अनुमति देते हैं।

अनूप माजी ने सीबीआइ की एफआइआर को रद  करने के लिए कलकत्ता हाई कोर्ट की सिंगल बेंच में याचिका दाखिल की थी। उसने कहा था कि बंगाल सरकार 2018 में ही सीबीआइ को बिना अनुमति राज्य में जांच करने से रोकने का आदेश जारी कर चुकी है। इसलिए, बिना राज्य सरकार से अनुमति मांगे सीबीआइ का एफआइआर दर्ज करना अवैध है।सिंगल बेंच ने एफआइआर रद करने से मना करते हुए कहा था कि रेलवे के दायरे में आने वाली ज़मीन में हुई अवैध गतिविधियों की जांच के लिए राज्य सरकार की अनुमति ज़रूरी नहीं है। लेकिन बाकी इलाकों में छापा मारने और दूसरी कार्रवाई के लिए सीबीआइ को राज्य सरकार से अनुमति लेनी होगी।

इस आदेश को 12 फरवरी को हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने बदल दिया। डिवीजन बेंच ने कहा कि सीबीआइ की तरफ से एफआइआर दर्ज करने में कुछ भी गैरकानूनी नहीं है। इस मामले में सिर्फ रेलवे की ज़मीन में हुए घोटाले की ही नहीं, उसके बाहर हुए अवैध खनन की भी जांच से सीबीआइ को नहीं रोका जा सकता।


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