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Dunlop Factory Kolkata: यहां बनते थे साइकिल से लेकर हवाई जहाज तक के टायर

Dunlop Factory Kolkata यहां काम करने वाले राजेंद्र प्रसाद ने कहा- जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं उन्होंने हर क्षेत्र का विकास किया है। वे डनलप कारखाने को दोबारा शुरू करने को जल्द से जल्द कोई कदम उठाएंगे।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 24 Feb 2021 12:55 PM (IST)Updated: Wed, 24 Feb 2021 12:55 PM (IST)
Dunlop Factory Kolkata: यहां बनते थे साइकिल से लेकर हवाई जहाज तक के टायर
उत्पल रजक ने कहा-मुङो विश्वास है कि PM डनलप के गरीब मजदूरों के बारे में जरूर सोचेंगे।

नेशनल डेस्क, नई दिल्ली। आज देश की जिस डनलप फैक्ट्री मैदान की देशभर में चर्चा हो रही है, उसकी नींव लगभग 85 साल पहले बंगाल में रखी गई थी। यह देश की पहली टायर फैक्टरी थी। यहां साइकिल से लेकर हवाई जहाज तक के 300 तरह के टायर बनाए जाते थे। कोलकाता से लगभग 75 किमी दूर फैक्टरी के मुख्य द्वार पर लिखा है लीडर इज बैक। यह जुमला पवन कुमार रुइया ने लिखवाया था जब उन्होंने वर्ष 2005 में फैक्टरी मनु छाबड़िया से खरीदी थी। मगर इसी मैदान से जब बंगाल का भविष्य तय करने वाली चुनावी सभाएं हो रही हैं तो मुख्य द्वार पर लिखे एक जुमले के अलग-अलग मायने लगाए जा रहे हैं।

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85 साल पुरानी कहानी : डनलप की कहानी बंगाल के हुगली जिले के शाहगंज से शुरू होती है। वर्ष 1936 में 239 एकड़ में टायर बनाने का संयंत्र शुरू हुआ। हालांकि डनलप कंपनी ने वर्ष 1896 में भारत में अपना कारोबार शुरू कर दिया था। उस वक्त कंपनी साइकिल के टायर बनाती थी। वर्ष 1926 में कारोबार को निगमित कंपनी के तौर पर डनलप रबर कंपनी (इंडिया) के नाम से शुरू किया गया। जिसके पास पूंजी के नाम पर 50 लाख रुपये थे। एक दशक के बाद जब यह कंपनी शाहगंज में काम करने लगी तो इसका नाम डनलप इंडिया हो गया।

फैक्टरी की इमारत बताती है कि मशीनों की आवाज से आबाद रहने वाली इस फैक्टरी का वैभवशाली इतिहास रहा होगा। तभी तो वर्ष 1980 के दौर में जब विश्व बाजार में बदलाव हो रहा था, उस वक्त भी कंपनी ने ठसक के साथ विज्ञापन दिया था कि डनलप इज डनलप। किसी ने नहीं सोचा था दशकों तक यूरोप, अमेरिका के साथ भारतीय बाजार पर कब्जा रखने वाली यह कंपनी खामोश हो जाएगी। वर्ष 2001 में बंद हुआ कारखाना: वर्ष 2001 से बंद कारखाने को वर्ष 2016 में ममता सरकार ने चलाने का प्रयास किया लेकिन विफल रहे।

प्रिंस चाल्र्स आए थे कंपनी देखने: करीब 11,000 कर्मचारियों वाला डनलप एस्टेट उस दौर में बेहद मशहूर था। दिसंबर 1980 में भारत के दौरे पर आए प्रिंस चाल्र्स भी शाहगंज देखने गए थे। देवदार पेड़ के बगल में इस ऐतिहासिक पल को यादगार बनाने वाली पत्थर की पट्टी लगी हुई है। अब यह सारी यादें जीर्ण-शीर्ण हालत में शाहगंज में बिखरी पड़ी हुई हैं।

मोदी की जनसभा फिर से खुलने की उम्मीद जगी: राज्य ब्यूरो, कोलकाता: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा के बाद मजदूरों में डनलप के वर्षो से बंद पड़े कारखाने के फिर से खुलने की उम्मीद जगी है। श्रमिक अर्जुन पासवान ने कहा-जब से डनलप कारखाना बंद हुआ है, हमारी हालत बदहाल है। प्रधानमंत्री ने डनलप की मिट्टी पर आकर जनसभा को संबोधित किया है। मुङो भरोसा है कि वे डनलप कारखाने को फिर से चालू करने के बारे में जरूर सोचेंगे। 


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