कोलकाता में परिवहन बंद होने से कर्मचारियों को ऑफिस जाने में हो रही दिक्कत, दोहरी चुनौतियों का कर रहे हैं सामना
कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए लगाये गए लॉकडाउन में तो ढील दे दी गई है और कर्मचारियों को ऑफिस भी बुलाया जा रहा है। लेकिन परिवहन बंद होने से लोगों को अपने गंतव्यों तो पहुंचने में काफी परेशानी हो रही है।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। परिवहन बंद होने से कोलकाता तथा उसके आसपास के इलाकों में कर्मचारियों को ऑफिस जाने में काफी दिक्कत हो रही है। दरअसल हो कोरोना की चेन तोड़ने के लिए लगे लॉकडाउन में कुछ रियायतों के साथ गत बुधवार से समस्त कार्यालयों को खोल दिया गया है। लोगों को फिलहाल दोहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। पहली चुनौती कोरोना के संक्रमण से बचते बचाते काम पर जाना दूसरा परिवहन बंद होने के कारण कैसे दफ्तर पहुंचना है इसका हल निकालते हुए गंतव्य तक पहुंचना।
सरकार की ओर से आइटी समेत बाकी निजी कार्यालयों में 25 प्रतिशत उपस्थिति के साथ काम चालू करने का निर्देश दिया गया है जो कुछ लोगों के लिए सहूलियत भी है तो कुछ के लिए वाकई परेशानी का सबब सा है। घंटों का सफर तय कर आ रहे ऑफिस कर्मचारियों का कहना है कि अभी ऑफिस तो खुल गया है लेकिन यहां तक आने के साधन नहीं है। समस्त परिवहन सेवाएं बंद है। कैब हायर करके आना पड़ रहा है।
आइटी दफ्तरों को भी खोल दिया गया है। हालांकि यहां कर्मचारियों के लिए ज्यादातर पिक-अप की व्यवस्था है। कुछ ऐसे लोग भी है जो काफी दूर रहते हैं उनके लिए वर्क फ्रॉम होम का विकल्प है। इसके अलावा रोस्टर सिस्टम से दफ्तरों में कर्मचारियों को बुलाया जा रहा है। पहले ही दिन काम पर आए कई लोगों की एक ही शिकायत थी कि सरकार को कार्यालयों के साथ परिवहन सेवाएं भी खोल देनी चाहिए। खासकर बस क्योंकि कोलकाता सर्कल में लोग उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना से भी आते है जहां से आना जाना बस परिसेवा से बेहतर सहूलियत कोई नहीं दे सकता। रही बात मेट्रो और लोकल ट्रेक की तो इसका न चलना जिलों से आने वाले कर्मचारियों की कमर तोड़ने जैसा है।
लॉकडाउन के बाद पहले दिन खुले तमाम कार्यालयों में सरकार के निर्देशानुसार कोविड के नियमों का पूरा पालन किया जा रहा है। 25 फीसदी उपस्थिति तो है ही, कर्मचारियों को वैक्सीन लगाने की कई कार्यालयों में व्यवस्था की गयी। बाकी जो नियम है वह भी हर जगह बराबर माने जा रहे हैं।