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मरीजों पर सभी अतिरिक्त लागत के भुगतान का बोझ ना डालें निजी अस्पताल: बंगाल सरकार

West bengal Coronavirus News बंगाल सरकार ने गुरुवार को निजी कोविड अस्पतालों से मरीजों के इलाज के अतिरिक्त खर्च का पूरा बोझ नहीं डालने का आग्रह किया है।

By Neel RajputEdited By: Published: Fri, 19 Jun 2020 04:40 PM (IST)Updated: Fri, 19 Jun 2020 06:02 PM (IST)
मरीजों पर सभी अतिरिक्त लागत के भुगतान का बोझ ना डालें निजी अस्पताल: बंगाल सरकार
मरीजों पर सभी अतिरिक्त लागत के भुगतान का बोझ ना डालें निजी अस्पताल: बंगाल सरकार

कोलकाता, जागरण संवाददाता। West bengal Coronavirus News बंगाल सरकार ने गुरुवार को निजी कोविड अस्पतालों से मरीजों के इलाज के अतिरिक्त खर्च का पूरा बोझ नहीं डालने का आग्रह किया है। मौजूदा आर्थिक मंदी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इसका एक हिस्सा निजी अस्पतालों से वहन करने का अनुरोध किया है। वहीं, कोविड-19 की जांच के लिए निजी प्रयोगशालाओं द्वारा लगाए गए रेटों में भारी अंतर होने की खबरों का हवाला देते हुए मुख्य सचिव राजीव सिन्हा ने यह भी कहा कि अगर इसे तर्कसंगत नहीं बनाया गया तो सरकार को एक दर तय करनी होगी।

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निजी अस्पतालों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए मुख्य सचिव ने कहा, 'हमारे पास जानकारी है कि यदि सात डॉक्टर किसी मरीज में शामिल होते हैं, तो उन सभी के पीपीई की लागत का भुगतान रोगी द्वारा किया जाता है। यह सही नहीं है। आप सभी लागत मरीजों पर नहीं डाल सकते हैं। अस्पताल को इसका एक हिस्सा वहन करना चाहिए और रोगी को केवल इसका एक छोटा हिस्सा सहन करने के लिए कहा जाना चाहिए। आर्थिक मंदी के कारण, हर कोई समस्याओं का सामना कर रहा है।'

सिन्हा ने कहा कि कोविड-19 की जांच के लिए निजी प्रयोगशालाओं द्वारा लगाए गए रेटों में विसंगतियां हैं और इसे तर्कसंगत बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक प्रयोगशाला 2,800 रुपये का शुल्क ले रही है जबकि दूसरा 4,500 रुपये के लिए कर रही है। हमने उनसे कोविड-19 परीक्षणों के रेट को तर्कसंगत व एक समान करने का आग्रह किया है। सिन्हा ने कहा कि राज्य सरकार ने अभी तक कुछ भी रेट तय नहीं किया है। हालांकि उन्होंने कहा कि हम इस पर फैसला करेंगे यदि हमें लगता है कि समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। हम इस पर नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 परीक्षण अब 47 प्रयोगशालाओं में किया जाता है, जिसमें राज्य भर के निजी अस्पताल शामिल हैं। मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि सरकार के पास यह जानकारी है कि निजी अस्पतालों का एक वर्ग कोरोना वायरस रोगियों के प्रवेश से इनकार कर रहा है, लेकिन वे इसे कानून के अनुसार नहीं कर सकते। सिन्हा ने कहा, "क्लिनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट के अनुसार, निजी अस्पतालों में संक्रामक रोगों से ग्रस्त मरीजों को मना करने का कोई विकल्प नहीं है। वे उन्हें अलग-थलग रखने के लिए बाध्य हैं। राज्य सरकार किसी पर भी कानून लागू नहीं करती है लेकिन उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए। बैठक के दौरान, निजी अस्पतालों से हल्के कोरोना वायरस लक्षणों वाले रोगियों के लिए पैकेज बनाने का भी आग्रह किया गया और जो लोग घर पर हैं और उन्हें इलाज के तरीके के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

किस अस्पताल में कितने बेड है खाली, घर बैठे मिलेगी जानकारी

मुख्य सचिव ने कहा कि वर्तमान में बंगाल के सरकारी और निजी अस्पतालों में कोविड-19 के रोगियों के लिए 10,000 से अधिक बेड हैं और इनमें से 8,000 से अधिक खाली हैं। उन्होंने कहा, 'पिछले 24 घंटों में, कुछ निजी अस्पतालों ने बेडों की संख्या में वृद्धि की है। फिलहाल कोलकाता में निजी अस्पतालों में 1,000 कोविड-19 बेड हैं और इनमें से 50 फीसद खाली हैं।'

उन्होंने कहा कि अब किस अस्पताल में कितने बेड खाली हैं इस बारे में घर बैठे ऑनलाइन जानकारी मिल सकेगी। निजी अस्पतालों को भी बेडों की संख्या के बारे में रोज डिस्प्ले करना होगा। वहीं राज्य स्वास्थ्य विभाग की वेबसाइट पर शुक्रवार से निजी व सरकारी अस्पतालों में बेडों की उपलब्धता के बारे में जानकारी मिलेगी। मुख्य सचिव ने कहा कि निजी अस्पतालों को अपनी सुविधाओं में डिस्प्ले बोर्ड पर उपलब्ध बेड की संख्या डालनी होगी। वहीं, राज्य सरकार द्वारा संचालित कोविड-19 अस्पतालों में बेडों की उपलब्धता की जानकारी स्वास्थ्य विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध होगी। मुख्य सचिव ने कहा कि इस कदम से मरीजों को काफी सुविधा होगी और वे अपनी सुविधा के अनुसार अस्पतालों में बेडों की उपलब्धता के हिसाब से इलाज करा सकेंगे।  


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