जीआइ टैग मिलने के बाद हुआ स्पष्ट अलग-अलग प्रकार के हैं ओडिशा व बंगाल के रसगुल्ले
लगभग एक साल से बंगाल और ओडिशा के बीच रसगुल्ले पर जारी बहस के बीच सोमवार को ओडिशा रसगुल्ला को भी भौगोलिक संकेत (जीआइ टैग) मिल गया है।
जागरण संवाददाता, कोलकाता। लगभग एक साल से बंगाल और ओडिशा के बीच रसगुल्ले पर जारी बहस के बीच सोमवार को ओडिशा रसगुल्ला को भी भौगोलिक संकेत (जीआइ टैग) मिल गया है। इसके पहले बंगाल सरकार को नवंबर 2017 में बंगाल रसगुल्ले के लिए जीआइ टैग मिल चुका है।
बंगाल को टैग मिलने के बाद ओडिशा सरकार ने भी ओडिशा रसगुल्ला की विशेष पहचान के लिए चेन्नई स्थित जीआइ टैग पंजीकरण कार्यालय में आवेदन किया था। यहां से सोमवार को ओडिशा रसगुल्ला के लिए जीआइ टैग का आधिकारिक सर्टिफिकेट कार्यालय की वेबसाइट पर जारी कर दिया गया।
विवाद का हुआ अंत
पश्चिम बंगाल व ओडिशा, दोनो ही दावा कर रहे थे कि रसगुल्ला की खोज उनके राज्य में हुई है। बाद में पाया गया कि ओडिशा रसगुल्ला व बंगाल रसगुल्ला, दोनों ही अपने में विशेष और अलग हैं। नवंबर 2017 में पश्चिम बंगाल को बंगाल रसगुल्ला के लिए जीआइ टैग मिला था। अब ओडिशा को भी जीआइ टैग मिलने के बाद एक बात साफ हो गई है कि रसगुल्ले के दो प्रकार हैं। बंगाल रसगुल्ला व ओडिशा रसगुल्ला।
दोनों के हैं अपने दावे
हालांकि बंगाल का दावा है कि रसगुल्ले की खोज नवीन चंद्र दास(जन्म 1845) ने कोलकाता स्थित अपने बागबाजार के घर में की थी। जबकि ओडिशा इसे सदियों पुरानी निलाद्री विजे की परंपरा का मानता है। 2015 में ओडिशा सरकार द्वारा गठित एक कमेटी ने दावा किया था कि रसगुल्ले की खोज ओडिशा में ही हुई है, जहां यह सदियों से पुरी स्थित प्रभु जगन्नाथ को अर्पित की जाती रही है।
बंगाल ने बंगाल रसगुल्ले के लिए मांगा था टैग
2016 में पश्चिम बंगाल सरकार ने जीआइ टैग के लिए आवेदन किया। हालांकि पश्चिम बंगाल का आवेदन बंगाल रसगुल्ले के लिए था। नवंबर 2017 में जब पश्चिम बंगाल को रसगुल्ले के लिए जीआइ टैग मिला था तब जीआइ कार्यालय ने स्पष्ट कर दिया था कि यह टैग सिर्फ बंगाल रसगुल्ले के लिए जारी किया गया है। अगर ओडिशा अपने प्रकार के रसगुल्ले की उत्पत्ति, स्वाद, रंग व बनाने के तरीके के लिए टैग चाहता है तो वह आवेदन के लिए स्वतंत्र है।
क्या है जीआइ टैग
जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीआइ टैग) वह नाम या पहचान है जो किसी क्षेत्र विशेष में पाई जानेवाली विशेष सामग्री को दी जाती है। टैग के तहत सिर्फ उत्पाद के क्षेत्र की नहीं, उसके स्वाद व बनाने के तरीके को भी पहचान दी जाती है।
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