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West Bengal Politics: बंगाल के राज्यपाल को हटाने की मांग तेज, तृणमूल सांसदों ने राष्ट्रपति को सौंपा ज्ञापन

बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ द्वारा ममता सरकार के खिलाफ लगातार बयान देने के बाद बुधवार को तृणमूल कांग्रेस के सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति से मिलकर उन्हें ज्ञापन सौंपा और राज्यपाल को हटाने की मांग की।

By Vijay KumarEdited By: Published: Wed, 30 Dec 2020 04:32 PM (IST)Updated: Wed, 30 Dec 2020 05:59 PM (IST)
West Bengal Politics: बंगाल के राज्यपाल को हटाने की मांग तेज, तृणमूल सांसदों ने राष्ट्रपति को सौंपा ज्ञापन
बंगाल के राज्यपाल को हटाने की मांग तेज

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और राज्य सरकार के बीच लगातार जारी टकराव के बीच अब सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने राज्यपाल को हटाने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का रुख किया है। तृणमूल के पांच वरिष्ठ सांसदों ने राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजकर राज्यपाल धनखड़ को उनके पद से तत्काल हटाने की मांग की है। पार्टी ने आरोप लगाया है कि धनखड़ सार्वजनिक रूप से राज्य के प्रशासन और सरकार के खिलाफ टिप्पणी कर संवैधानिक सीमाओं का उल्लंघन कर रहे हैं। बुधवार को तृणमूल भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में तृणमूल के राज्यसभा सदस्य सुखेंदु शेखर रॉय ने संवाददाताओं को इसकी जानकारी देते हुए कहा कि पार्टी सांसदों ने मंगलवार को राष्ट्रपति को पत्र भेजा है जिसमें धनखड़ द्वारा हाल में ऐसे कथित उल्लंघनों की सूची दी गई है और संविधान के अनुच्छेद- 156 (1) के तहत कार्रवाई की मांग की गई है। राष्ट्रपति को भेजे गए ज्ञापन में राज्यपाल पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। रॉय ने कहा, ‘‘संविधान के अनुच्छेद-156की धारा 1 के तहत राष्ट्रपति की इच्छा तक राज्यपाल पद पर आसीन होता है। हम राष्ट्रपति से मांग करते हैं कि इस इच्छा को वापस ले जिसका अभिप्राय है कि वह इन राज्यपाल को हटाएं।’’

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उन्होंने कहा, ‘‘हमने देखा है कि पिछले साल जुलाई में जब से वह राज्य में आए हैं वह नियमित रूप से ट्वीट कर रहे हैं, संवाददाता सम्मेलन कर रहे हैं और टेलीविजन चैनलों की चर्चाओं में शामिल हो रहे हैं जहां पर वह नियमित रूप से राज्य सरकार के कामकाज, हमारे अधिकारियों, मंत्रियों और मुख्यमंत्री पर टिप्पणी कर रहे हैं। यहां तक एक बार उन्होंने विधानसभा के स्पीकर के आचरण पर टिप्पणी की। उनका ऐसा प्रत्येक कदम उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।’’ तृणमूल सांसद ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार को असहज करने के लिए धनखड़ भाजपा नीत केंद्र सरकार की ओर से इस तरह के बयान दे रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा बंगाल के 75 साल के इतिहास में नहीं हुआ। अगर उन्हें कुछ कहना है तो वह संविधान में दिए गए तरीके से ऐसा कर सकते हैं न कि ट्वीट या प्रेस वार्ता करके।’’ रॉय ने धनखड़ के उन बयानों को भी रेखांकित किया जिसमें उन्होंने बंगाल व्यापार सम्मेलन पर हुए खर्च का हिसाब मांगा था और ‘25 आइपीएस अधिकारियों’ को कथित धमकी देने के लिए मुख्यमंत्री से माफी की मांग की थी। उन्होंने कहा कि राज्यपाल अपने अधिकारों और सीमाओं का उल्लंघन कर रहे हैं।रॉय ने कहा, उन्होंने (धनखड़) कहा कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना उनकी जिम्मेदारी है। वह कौन हैं? यह चुनाव आयोग का क्षेत्र है। 

इस पत्र पर संसद के दोनों सदनों में तृणमूल के पांच वरिष्ठ सांसदों ने हस्ताक्षर किए है जिनमें सुदीप बंदोपाध्याय, काकोली घोष दस्तीदार, डेरेक ओ ब्रायन, कल्याण बनर्जी और रॉय स्वयं शामिल हैं।

तृणमूल कांग्रेस राज्यपाल से भयभीत है : भाजपा 

इधर, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने धनखड़ का बचाव करते हुए कहा कि वह (राज्यपाल) संवैधानिक मापदंडों के तहत ही काम कर रहे हैं जबकि तृणमूल कांग्रेस भयभीत हैं। उन्होंने कहा कि मैं नहीं मानता कि तृणमूल कांग्रेस द्वारा राज्यपाल को हटाने के लिए राष्ट्रपति का रुख करने से कोई असर होगा। राष्ट्रपति राज्यपाल की भूमिका पर अपनी समझ से कार्यवाही करेंगे।


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