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west bengal : गीता मेले में करतब दिखाएंगे एस्टोनिया के दीनदयाल

दीनदयाल मेले में तलवारों की जुगलबंदी के साथ ही चक्र व तीर-धनुष से करतब दिखाएंगे। कभी प्रोडक्ट डिजाइनर रहे दीनदयाल ने करीब 20 साल पहले भौतिक दुनिया से संन्यास ले इस्कॉन से जुड़े

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 20 Dec 2019 02:06 PM (IST)Updated: Fri, 20 Dec 2019 02:06 PM (IST)
west bengal : गीता मेले में करतब दिखाएंगे एस्टोनिया के दीनदयाल
west bengal : गीता मेले में करतब दिखाएंगे एस्टोनिया के दीनदयाल

कोलकाता, प्रकाश पांडेय। हर साल क्रिसमस व नए साल के सेलिब्रेशन को देश-दुनिया से लाखों की तादाद में श्रद्धालु नदिया के मायापुर स्थित इस्कॉन मंदिर आते हैं और इस दौरान यहां आने वाले श्रद्धालुओं के मनोरंजन को गीता मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें भक्तों को सहज व मनोरंजक तरीके से गीता के उपदेशों से अवगत कराने के साथ ही विभिन्न प्रतियोगिताएं व कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

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इस्कॉन मंदिर मुख्यालय के मीडिया प्रवक्ता सुब्रत दास ने बताया कि मेले में संकीर्तन, गीता उपदेश पर चिंतन सभा के अलावा गीता ज्ञानवर्धन को क्विज, प्रदर्शनी के साथ ही रूसी, जर्मन और अमेरिकन भक्तों द्वारा हर शाम नृत्य नाटिका, फेस पेंटिंग समेत अन्य कई प्रस्तुतियां दी जाती है। वहीं अबकी मेले में बने फूड कोर्ट में देशी व्यंजनों के साथ ही दुनिया भर के स्वादिष्ट भोजन उपलब्ध होंगे।

सुब्रत ने बताया यहां राजस्थानी थाली से लेकर रूसी केक और अमेरिकन डोनट से लेकर इटालियन पास्ता और चाइनीस मोमो यहां आने वालों को खासा आकर्षित करने वाले हैं। इधर, मेला संचालक जीवनाथ दास ने बताया कि इस बार मेले में एस्टोनिया से आए प्रभु भक्त दीनदयाल दास का करतब मुख्य तौर पर लोगों के आकर्षण का केंद्र होगा।

दीनदयाल मेले में तलवारों की जुगलबंदी के साथ ही चक्र व तीर-धनुष से करतब दिखाएंगे। कभी प्रोडक्ट डिजाइनर रहे दीनदयाल ने करीब 20 साल पहले भौतिक दुनिया से संन्यास ले इस्कॉन से जुड़े और मौजूदा समय में एस्टोनिया में इस्कॉन मंदिर संचालन व्यवस्था में सक्रिय हैं। हालांकि, आमतौर पर यह माना जाता है कि आध्यात्मिक पथ पर अग्रसर व्यक्ति पूजा-पाठ व सेवा कार्यो में सक्रिय रहता है।

परंतु धर्म ग्रंथों के अनुसार व्यक्ति को जिस किसी भी क्षेत्र में महारथ होती है उसका उपयोग करके भी वह भगवान को अपनी भक्ति से संतुष्ट कर सकता है और इसी के मिसाल है इस्कॉन के ब्रह्मचारी भक्त दीनदयाल दास (40), जो मूल रूप से एस्टोनिया निवासी हैं और मार्शल आर्ट्स की कला को देश-दुनिया में पेश कर मानवीय रक्षा और सेवा कार्य में सक्रिय हैं।

वहीं एस्टोनिया निवासी ब्रह्मचारी दीनदयाल दास ने बताया कि साल 1999 में टालिन नामक शहर में पहली बार वे इस्कॉन के संपर्क में आए और उन दिनों वे प्रोडक्ट डिजाइनिंग के छात्र हुआ करते थे। मुस्कुराते हुए उन्होंने कहा कि वे पहली बार टालिन में श्यामवर्ण भगवान जगन्नाथ की विग्रह को देख मंत्रमुग्ध हो गए और इसके बाद श्रील प्रभुपाद इस्कॉन के प्रतिष्ठिता आचार्य पर लिखी पुस्तक का गहन अध्ययन किया और कुछ साल बाद दीक्षा ले ब्रह्मचारी बन गए।

इधर, गुरु निर्देश पर मार्शल आर्ट सीख इस विधा में महारथ हासिल की और आज देश-दुनियां में लोगों को आत्मनिर्भर बनाने को जगह-जगह इस कौशल की प्रस्तुति देते हैं। उन्होंने कहा कि इससे पहले वे 30 से अधिक देशों में अपनी हुनर की प्रस्तुति दे चुके हैं और पहली बार नदिया के मायापुर स्थित इस्कॉन मुख्यालय में आगामी 20 दिसंबर से पांच जनवरी तक आयोजित होने जा रहे गीता मेले में लोगों का मनोरंजन करने यहां आए हैं।


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