नगर निकायों के 10 हजार अस्थायी स्वास्थ्य कर्मचारियों को आशा कर्मचारियों के समान वेतन देने का फैसला
मुख्यमंत्री ने आइसीडीएस और आशा कर्मचारियों के वेतन और लाभ में तो वृद्धि की है लेकिन नगर निकायों के अस्थायी स्वास्थ्य कार्यकर्ता अभी भी पहले जैसी स्थिति में हैं। इन कर्मचारियों अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ने आंदोलन तेज कर दिया है।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। राज्य सरकार ने नगर निकायों में कार्यरत 10 हजार अस्थायी स्वास्थ्य कर्मचारियों को आशा कर्मचारियों के समान वेतन और लाभ देने का फैसला किया है। शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम ने इसकी जानकारी दी। प्रस्ताव वित्त विभाग के पास भेजा जा चुका है।
गौरतलब है कि कोलकाता सहित सात नगर निगमों और 119 नगरपालिकाओं में काम करने वाले अस्थायी स्वास्थ्य कर्मचारियों की वामपंथी शासन से ही बेहद उपेक्षा हुई है। पिछले नौ वर्षों में वेतन में वृद्धि नहीं हुई है। मासिक वेतन केवल 3,125 रुपये है। पीएफ या ग्रेच्युटी, कुछ भी नहीं है। ये स्वास्थ्यकर्मी डेंगू और मलेरिया जैसी तमाम बीमारियों से जूझते हैं। पांच साल से कम उम्र के बच्चों को वार्ड आधार पर पोलियो की खुराक खिलाते हैं। कोरोना के इस दौर में भी घर-घर जाकर आशा कर्मचारियों की तरह जानकारियां जुटाते हैं। राज्य सरकार ने नगर निकायों में कार्यरत 10 हजार अस्थायी स्वास्थ्य कर्मचारियों को आशा कर्मचारियों के समान वेतन और लाभ देने का फैसला किया है।
मुख्यमंत्री ने आइसीडीएस और आशा कर्मचारियों के वेतन और लाभ में तो वृद्धि की है लेकिन नगर निकायों के अस्थायी स्वास्थ्य कार्यकर्ता अभी भी पहले जैसी स्थिति में हैं। इन कर्मचारियों अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ने आंदोलन तेज कर दिया है।
फिरहाद हकीम ने कहा-“आशा कर्मचारियों की तरह नगर निकायों के स्वास्थ्य कर्मियों को भी सुविधाएं प्रदान करने का निर्णय लिया गया है। मामला वित्त मंत्री की मंजूरी का इंतजार कर रहा है।' फिरहाद ने हालांकि यह भी स्पष्ट किया कि सेवानिवृत्ति की आयु को बढ़ाकर 65 साल करने पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।