चक्रवात 'जवाद' का गंगासागर मेले की तैयारियों पर व्यापक असर, लाखों रुपये का बांस तेज ज्वार के कारण सागर में बहा
गंगासागर मेले में अब एक महीना रह गया है। दक्षिण 24 परगना जिला प्रशासन ने नवंबर महीने से मेले की तैयारियां शुरू की थीं। सबकुछ योजना के मुताबिक चल रहा था कि चक्रवात के फलस्वरूप बंगाल में हुए डिप्रेशन की वजह से गंगासागर में समुद्र का जलस्तर काफी बढ़ गया
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : गंगासागर मेले में अब सिर्फ एक महीना रह गया है। दक्षिण 24 परगना जिला प्रशासन ने नवंबर महीने से मेले की तैयारियां शुरू की थीं। सबकुछ योजना के मुताबिक चल रहा था कि चक्रवात के फलस्वरूप बंगाल में हुए डिप्रेशन की वजह से गंगासागर में समुद्र का जलस्तर काफी बढ़ गया, जिसका तैयारियों पर व्यापक असर पड़ा है। दो-तीन दिनों तक काम को रोक देना पड़ा। अस्थायी दुकानों व श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए शिविर तैयार करने को तट पर रखा गया लाखों रुपये का बांस तेज ज्वार के कारण सागर में बह गया।
मूडी़गंगा में पानी के तेज बहाव की चपेट में आकर एक मालवाही ट्रालर भी पलट गया। उसने कचूबेरिया के घाट के पास लंगर डाला हुआ था। इस घटना में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। डिप्रेशन के खत्म होने के बाद जिला प्रशासन अब फिर से तैयारियों में जुट गया है। समय कम है और काम बहुत ज्यादा है इसलिए जिला प्रशासन को ज्यादा लोगों को काम में लगाना पड़ रहा है।
गौरतलब है कि इससे पहले चक्रवात यास से भी गंगासागर को काफी क्षति पहुंची थी। गंगा सागर में स्थित कपिल मुनि मंदिर में पानी घुस गया था। हर साल मकर संक्रांति के पावन अवसर पर देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगासागर में पुण्य स्नान करने आते है। ऐसी मान्यता है कि यहां उस दिन स्नान करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है। मकर संक्रांति के समय यहां विशाल मेले का आयोजन होता है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने आधा दर्जन मंत्रियों को आयोजन की जिम्मेदारी सौंपती हैं, जो सागर मेले के समय यहां डटे रहते हैं।