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Cyclone: गंभीर स्थिति- 1970 से 2019 के बीच बंगाल के 15 जिलों में चक्रवात की फ्रीक्वेंसी पांच गुना बढ़ी

एक अध्ययन में सामने आया चिंताजनक तथ्य इस दौरान सूबे में बाढ़ की घटनाएं भी तेजी से बढ़ीं 1970 से 2019 के बीच बंगाल के 15 जिलों में चक्रवात की फ्रीक्वेंसी पांच गुना बढ़ी है। इन जिलों में करीब सात करोड़ 20 लाख लोग वास करते हैं।

By Priti JhaEdited By: Published: Fri, 28 May 2021 09:57 AM (IST)Updated: Fri, 28 May 2021 11:01 AM (IST)
Cyclone: गंभीर स्थिति- 1970 से 2019 के बीच बंगाल के 15 जिलों में चक्रवात की फ्रीक्वेंसी पांच गुना बढ़ी
पिछले 50 वर्षों में चक्रवात की फ्रीक्वेंसी सात गुना बढ़ी है।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता । 1970 से 2019 के बीच बंगाल के 15 जिलों में चक्रवात की फ्रीक्वेंसी पांच गुना बढ़ी है। इन जिलों में करीब सात करोड़ 20 लाख लोग वास करते हैं। एक अध्ययन में यह चिंताजनक तथ्य सामने आया है। कोलकाता, हावड़ा, उत्तर व दक्षिण 24 परगना और पश्चिम मेदिनीपुर चक्रवात के हॉटस्पॉट बताए गए हैं। अध्ययन के मुताबिक 2005 के बाद भारत के तटीय जिलों में चक्रवात का सालाना औसत तीन गुना बढ़ गया है। पिछले दशक में चक्रवात की फ्रीक्वेंसी दुगनी हुई है। भारत के पूर्वी तट पर स्थित 258 जिले चक्रवात से प्रभावित हुए हैं।

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देशव्यापी तौर पर पिछले 50 वर्षों में चक्रवात की फ्रीक्वेंसी सात गुना बढ़ी है। काउंसिल आन एनर्जी, एनवॉयरमेंट एंड वाटर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुणाभ घोष ने बताया कि इस साल कोरोना महामारी के बीच एक के बाद दो चक्रवातों ने देश में दस्तक दी। उनकी फ्रीक्वेंसी और तीव्रता को देखते हुए देश में चक्रवात से निपटने की आधारभूत संरचना तेजी से विकसित किए जाने की जरूरत है, खासकर बंगाल को इस पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए। बंगाल को नेशनल साइक्लोन रिस्क मिटीगेशन प्रोजेक्ट को जल्द से जल्द क्रियान्वित करने पर जोर देना चाहिए। इस परियोजना को 2015 में मंजूर किया गया था।

चक्रवात को रोकने में मैंग्रोव फारेस्ट काफी मददगार साबित होते हैं इसलिए बंगाल के सुंदरवन इलाके में व्यापक तौर पर पौधारोपण किया जाना चाहिए। अध्ययन के मुताबिक 1970 से 2019 तक बंगाल में बाढ़ की घटनाएं भी तेजी से बढ़ी हैं, जिससे हर साल सात करोड़ 80 लाख प्रभावित हो रहे हैं। बीरभूम, कूचबिहार, हुगली मालदा और नदिया जिले बाढ़ के हॉटस्पॉट हैं।

दूसरी तरफ जलवायु परिवर्तन के कारण बंगाल में पिछले एक दशक में सूखा पड़ने की घटनाओं में भी दो गुना वृद्धि हुई है। इनमें बाढ़ प्रभावित रहने वाले बांकुड़ा व पुरुलिया जिले भी शामिल हैं। 


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