तृणमूल के मुखपत्र में लिखने पर माकपा नेता की बेटी पार्टी से तीन माह के लिए निलंबित, ममता पर लिखा था आलेख
माकपा के पूर्व राज्य सचिव अनिल विश्वास की बेटी अजंता विश्वास के हाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर आलेख लिखने के कारण पार्टी ने उन्हें तीन माह के लिए निलंबित कर दिया है। आलेख प्रकाशित होने के बाद से ही माकपा ने अजंता विश्वास को लेकर चर्चा चल रही थी।
राज्य ब्यूरो, कोलकाताः विधानसभा चुनाव में वामपंथी दलों का आजादी के बाद पहली वार बंगाल में खाता नहीं खूला। माकपा की हालत दयनीय है। इस बीच माकपा के पूर्व राज्य सचिव अनिल विश्वास की बेटी अजंता विश्वास के हाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर आलेख लिखने के कारण पार्टी ने उन्हें तीन माह के लिए निलंबित कर दिया है। आलेख प्रकाशित होने के बाद से ही माकपा ने अजंता विश्वास को लेकर चर्चा चल रही थी।
बता दें कि अजंता विश्वास का आलेख सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के दैनिक मुखपत्र ‘जागो बांग्ला’ में प्रकाशित हुआ था। इसके बाद पार्टी ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया था, लेकिन अजंता ने मौखिक जवाब के अतिरिक्त नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया। आलेख में उन्होंने लिखा था कि ममता बनर्जी ने हुगली जिले के सिंगुर में टाटा की छोटी कार संयंत्र के लिए कृषि भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया। इस आंदोलन ने ही बंगाल में 2011 में वामपंथियों के खिलाफ उनकी ऐतिहासिक जीत में काफी योगदान दिया।
हाल में तृणमूल कांग्रेस के मुखपत्र ‘जागो बांग्ला’ ने बंगाल की राजनीति में महिला सशक्तीकरण पर एक श्रृंखला छापनी शुरू की थी और यह लेख अंजता विश्वास द्वारा लिखी गई थी, जो कोलकाता के रवींद्र भारती विश्वविद्यालय में इतिहास की एसोसिएट प्रोफेसर हैं। आलेख संपादकीय पृष्ठ पर प्रमुखता से छापा गया था, जिसके बाद से इस मुद्दे पर चर्चा शुरू हो गई थी। माकपा के नेता लगातार अजंता विश्वास को लेकर सवाल कर रहे थे।
साल 2006 में अपने पिता की मृत्यु के बाद से अजंता विश्वास राजनीति में सक्रिय नहीं हैं। इससे पहले, वह प्रेसिडेंसी कॉलेज (अब विश्वविद्यालय) में स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआइ) इकाई की एक प्रमुख चेहरा थीं, जहां उन्होंने पढ़ाई की थी। इससे पहले उन्होंने बसंती देवी, सरोजिनी नायडू, सुनीति देवी और स्वतंत्रता से पहले और बाद के युग के अन्य लोगों के बारे में भी लिखा है। यह आलेख पूरी तरह से ममता पर केंद्रित था।
बता दें कि माकपा के नेता रहे अनिल विश्वास तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ सबसे सफल रणनीतिकारों में से एक थे। यह व्यापक रूप से माना जाता है कि 2006 में विश्वास की मृत्यु के बाद ही तृणमूल को सफलता मिलनी शुरू हुई थी। वह बंगाल माकपा के दैनिक मुखपत्र गणशक्ति के संपादक और ममता के कटु आलोचक भी थे। अनिल विश्वास माकपा के सफल राज्य सचिव थे।