Coronavirus Lockdown Effect: कोलकाता में इस साल रथ नहीं, ट्रक की सवारी करेंगे प्रभु जगन्नाथ!
Coronavirus Lockdown Effect कोलकाता में इस साल रथ नहीं ट्रक की सवारी करेंगे प्रभु जगन्नाथ!
कोलकाता, विशाल श्रेष्ठ। कोलकाता में इस साल प्रभु जगन्नाथ बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ नहीं, बल्कि ट्रक की सवारी करते दिख सकते हैं। कोलकाता इस्कॉन के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने बताया-'एम्स के मुताबिक भारत में जून-जुलाई में कोरोना का प्रकोप चरम पर हो सकता है। इस साल रथयात्रा 23 जून और उल्टी रथयात्रा एक जुलाई को है इसलिए हर बार जैसा आयोजन संभव नहीं दिख रहा। कोलकाता की रथयात्रा जगन्नाथ पुरी की रथयात्रा के बाद दुनिया में सबसे बड़ी है। पुरी की रथयात्रा का रूट चार किलोमीटर है जबकि कोलकाता की रथयात्रा का आठ किलोमीटर है।'
दास ने आगे कहा-' हम मुख्यत: दो विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। पहला, रथयात्रा के दिन प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को अल्बर्ट रोड स्थित मंदिर के गर्भ गृह से निकालकर मंदिर परिसर के एक हॉल में रखा जाएगा। उस हॉल को वृंदावन की तरह सजाया जाएगा और सारी पूजा-अर्चना और अन्य धार्मिक अनुष्ठान वहीं आयोजित होंगे। उल्टी रथयात्रा के दिन उन्हें फिर से गर्भ गृह में ले जाया जाएगा।
दूसरा विकल्प यह है कि अगर हालात में सुधार होता है और कोलकाता पुलिस रथयात्रा की अनुमति देती है, तो भी हम रथ नहीं निकालेंगे क्योंकि उन्हें खींचने के लिए कोलकाता की सड़कों पर लाखों की भीड़ उमड़ती है। इससे शारीरिक दूरी के नियम का पालन करना संभव नहीं हो पाएगा इसलिए हम अल्बर्ट रोड से रथों के बदले तीन ट्रकों पर प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की सवारियां निकालेंगे। प्रत्येक ट्रक पर चालक के अलावा दो पुजारी रहेंगे। रूट में भी परिवर्तन किया जाएगा। ट्रक उन इलाकों से होकर गुजरेंगे, जहां से लोग अपने घर की खिड़कियों, बालकनी और छतों से प्रभु जगन्नाथ के आराम से दर्शन कर सकें।
ट्रक ब्रिगेड परेड ग्राउंड नहीं जाकर वापस अल्बर्ट रोड स्थित मंदिर लौट आएंगे। इस साल ब्रिगेड परेड ग्राउंड में रथ मेला नहीं लगेगा। 'गौरतलब है कि उल्टी रथयात्रा तक प्रभु जगन्नाथ ब्रिगेड परेड ग्राउंड में अस्थायी रूप से निर्मित होने वाले मंदिर में विराजते हैं। वहां विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठान का आयोजन होता है। मेले में लाखों लोग उमड़ते हैं। विदेशों से भी बड़ी तादाद में इस्कॉन के अनुयायी पहुंचते हैं।