Corona in Bengal: कोरोना का बूस्टर डोज लगवाने के सही समय को लेकर संशय, 'इम्युनोलाजिकल रिएक्शन' का जोखिम
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि कोरोना संक्रमित होने पर शरीर में एंटीबाडी तैयार होती है वैसे समय बूस्टर डोज लगवाने पर इम्युनोलाजिकल रिएक्शन का है जोखिम। कोरोना का बूस्टर डोज लगवाने के सही समय को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता । कोरोना का बूस्टर डोज लगवाने के सही समय को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के एक वर्ग का कहना है कि कोरोना संक्रमितों के बूस्टर डोज लगवाने पर उसके असर को लेकर संशय है क्योंकि कोरोना संक्रमित होने पर शरीर में एंटीबाडी तैयार होती है। वैसे समय बूस्टर डोज लगवाने पर 'इम्युनोलाजिकल रिएक्शन' के जोखिम से इन्कार नहीं किया जा सकता। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का आगे कहना है कि ऐसे बहुत से लोग हैं, जो कोरोना संक्रमित हैं लेकिन उनमें इसका कोई लक्षण नहीं है इसलिए उन्होंने अपना कोरोना टेस्ट नहीं करवाया है। उन लोगों के लिए भी बूस्टर डोज लगवाने के सही समय को लेकर संशय है।
एक चिकित्सक ने बताया कि ओमिक्रोन का संक्रमण जिस तरह से बढ़ रहा है, उससे लग रहा है कि कोई इससे संक्रमित होने से नहीं बच पाएगा इसलिए उम्रदराजों व विभिन्न बीमारियों से पीड़ित लोगों के मन में इस बात को लेकर संशय होना लाजमी है। इसे देखते हुए कोरोना टेस्ट करवाकर निश्चिंत हो जाना ही अच्छा है लेकिन अधिकांश लोग कोरोना टेस्ट नहीं करवा रहे हैं। कोरोना का बूस्टर डोज लगवाने के सही समय को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के एक वर्ग का कहना है कि कोरोना संक्रमितों के बूस्टर डोज लगवाने पर उसके असर को लेकर संशय है क्योंकि कोरोना संक्रमित होने पर शरीर में एंटीबाडी तैयार होती है।
इंडियन इंस्टीट्यूट आफ केमिकल बायोलाजी के इम्युनोलाजिस्ट दीप्यमान गंगोपाध्याय ने कहा कि बिना लक्षण वाले कोरोना संक्रमितों के बूस्टर डोज लेने पर शरीर में रोग प्रतिरोधी क्षमता जरुरत से ज्यादा बढ़ सकती है, जिससे कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। शरीर में 'साइटोंकाइन' की मात्रा बढ़ सकती है। संक्रमित होने पर शरीर में एंटीबाडी तैयार होता है, जिससे रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ती है इसलिए कोरोना संक्रमित होने के दौरान या कोरोना मुक्त होने के तुरंत बाद बूस्टर डोज लेने की जरूरत नहीं है। वायरोलाजी सिद्धार्थ जोआरदार ने कहा कि शरीर में अतिरिक्त रोग प्रतिरोधी क्षमता होने पर 'इम्युनोलाजिकल रिएक्शन' की आशंका है।