Mahalaya : कोरोना के चलते महालया पर पितरों का तर्पण कराने वाले पुरोहितों की कमाई पर भी पड़ा तगड़ा असर
नुकसान-झोली में इस बार पुरोहितों की झोली में आई बहुत कम दान-दक्षिणा। कोरोना फैलने की आशंका के मद्देनजर बहुत से लोग नहीं आए तर्पण करने।
विशाल श्रेष्ठ, कोलकाता : कोरोना महामारी ने महालया पर पितरों का तर्पण कराने वाले पुरोहितों की कमाई पर भी तगड़ा असर डाला है। उनकी झोली में इस बार बहुत कम दान-दक्षिणा आई है। महालया पर गंगा घाटों पर उमड़ने वाली भारी भीड़ से कोरोना फैलने की आशंका के मद्देनजर इस साल बहुत से लोग तर्पण करने आए ही नहीं। इनमें बुजुर्गों की संख्या अधिक थी।
बहुत से यजमान हैं इस साल कोरोना के कारण नहीं आए
बाबूघाट पर कई वर्षों से तर्पण करा रहे संजय मिश्रा नामक पुरोहित ने बताया-'मेरे बहुत से यजमान हैं, जो हर साल पितरों का तर्पण करने यहां आते हैं लेकिन उनमें से कुछ इस साल कोरोना के कारण नहीं आए।
50 से 100 रुपये तक दिया करते थे, 20-30 रुपये ही दिए
जो आए, उन्होंने भी आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं होने का हवाला देते हुए बहुत कम दान-दक्षिणा की। यजमानों को छोड़िए, अलग से जो लोग तर्पण करने आते हैं, उनसे भी इस साल अच्छी दक्षिणा नहीं मिल पाई। जो लोग 50 से 100 रुपये तक दिया करते थे, उन्होंने 20-30 रुपये ही दिए।'
10 से 15 हजार की बजाय सिर्फ पांच हजार तक ही हो पाए
एक अन्य पुजारी ने बताया-'तर्पण कराकर हर साल मेरी 10 से 15 हजार रुपये तक की कमाई हो जाती थी लेकिन इस बार सिर्फ पांच हजार तक ही हो पाए। अलग से कपड़े के साथ काफी अनाज भी मिल जाता था लेकिन इस बार उसकी मात्रा भी बहुत कम है।
जल्दी से जल्दी तर्पण कर घर लौटने को बेताब दिख रहे थे
तर्पण करने को लेकर भी लोगों में इस बार काफी जल्दबाजी दिख रही थी। लोग ज्यादा देर घाट पर रहना नहीं चाहते थे। वे जल्दी से जल्दी तर्पण कर घर लौटने को बेताब दिख रहे थे।
अधिकतर युवा लोग ही पहुंचे मास्क पहनकर तर्पण कराया
'कोलकाता के बाबूघाट, चांदपाल घाट, काशीपुर घाट, बागबाजार घाट, अहिरीटोला घाट, निमतल्ला घाट समेत विभिन्न घाटों पर इस साल भीड़ पिछले वर्षो की तुलना में बहुत कम थी। अधिकतर युवा लोग ही तर्पण करने पहुंचे थे। बहुत से लोग मास्क पहनकर तर्पण करते नजर आए। पुरोहितों ने भी मास्क पहनकर तर्पण कराया।